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नई दिल्ली: 

रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की चेयरपर्सन रशिम सलूजा ने रेलिगेयर फिनवेस्ट लि. (आरएफएल) का ऋण पुनर्गठन दिसंबर तक पूरा होने की उम्मीद जताई है. उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष से कंपनी नया कारोबार शुरू कर सकेगी. कंपनी के प्रबंधन में 2018 के बाद बदलाव के बाद से वह ऋणदाताओं को 6,500 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है.

रेलिगेयर एंटरप्राइेजेज की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी आरएफएल कमजोर वित्तीय सेहत की वजह से जनवरी, 2018 से रिजर्व बैंक की सुधारात्मक कार्रवाई योजना (सीएपी) के तहत है। इसके चलते कंपनी के नए कारोबार लेने पर रोक है. पूर्व प्रवर्तकों शिविंदर सिंह और मालविंदर सिंह बंधुओं के कथित रूप से कोष के दुरुपयोग की वजह से कंपनी वित्तीय संकट में है.

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सलूजा ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा, ‘‘बुरा समय पीछे छूट चुका है. हमारे अन्य सभी कारोबार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. आरएफएल की स्थिति भी धीरे-धीरे ठीक हो रही है. दो साल पहले आरएफएल के चारों पहिए फंसे हुए थे। आज पहिए जमीन पर आ गए हैं. हम इन्हें आगे बढ़ाने के लिए नए सिरे से ईंधन डाल रहे हैं.”आरएफएल के अलावा रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की अन्य अनुषंगियां केयर हेल्थ इंश्योरेंस लि. (सीएचआईएल) और रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. हैं.

कर्ज के बोझ से दबी आरएफएल की अनुषंगी कंपनी रेलिगेयर हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन लि. (आरएचडीएफसीएल) है। यह कंपनी सस्ते मकानों के लिए कर्ज उपलब्ध कराती है. सलूजा ने कहा कि पूर्ववर्ती प्रवर्तकों की गड़बड़ियों की वजह से आरएफएल अब भी जूझ रही है. पूर्व प्रवर्तकों ने कंपनी के साथ 4,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की. उन्होंने कहा कि इस पैसे वसूली के लिए कानूनी और अन्य तरीके अपनाए जा रहे हैं.

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सलूजा ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा, ‘‘बुरा समय पीछे छूट चुका है. हमारे अन्य सभी कारोबार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. आरएफएल की स्थिति भी धीरे-धीरे ठीक हो रही है. दो साल पहले आरएफएल के चारों पहिए फंसे हुए थे। आज पहिए जमीन पर आ गए हैं. हम इन्हें आगे बढ़ाने के लिए नए सिरे से ईंधन डाल रहे हैं.”आरएफएल के अलावा रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की अन्य अनुषंगियां केयर हेल्थ इंश्योरेंस लि. (सीएचआईएल) और रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. हैं.

कर्ज के बोझ से दबी आरएफएल की अनुषंगी कंपनी रेलिगेयर हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन लि. (आरएचडीएफसीएल) है। यह कंपनी सस्ते मकानों के लिए कर्ज उपलब्ध कराती है. सलूजा ने कहा कि पूर्ववर्ती प्रवर्तकों की गड़बड़ियों की वजह से आरएफएल अब भी जूझ रही है. पूर्व प्रवर्तकों ने कंपनी के साथ 4,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की. उन्होंने कहा कि इस पैसे वसूली के लिए कानूनी और अन्य तरीके अपनाए जा रहे हैं.