English മലയാളം

Blog

Screenshot 2022-02-28 115854

रून्नीसैदपुर थाना क्षेत्र के बहिलवारा धनुषी गांव निवासी मनोज कुमार व सिधु देवी का पुत्र आदित्य गौरव यूक्रेन में फंसा हुआ है। यूक्रेन की राजधानी कीव में कीव मेडिल यूनिवर्सिटी में सेकेंड ईयर का छात्र है।

भारत के विभिन्न टेलीविजन चैनलों पर यूक्रेन से उसका इंटरव्यू लगातार प्रसारित हो रहे हैं। आदित्य को टीवी पर देखकर उसके माता-पिता व भाई-बहन को संतोष है उनका यह लाडला सुरक्षित तो है। माता-पिता के मुताबिक, आदित्य बताता है कि उसके साथ करीब ढाई सौ मेडिकल छात्र एकजगह पर आकर बेसमेंट में छुपे हुए हैं। वहां खाने-पीने का बंदोबस्त उन लोगों ने मिलकर किया हुआ था। हालांकि, भोजन का स्टाक अधिक दिनों के लिए नहीं रह गया है।

Also read:  टाइटैनिक जहाज के पास लापता पनडुब्बी का मलबा मिला, एस कोस्ट गार्ड ने यह जानकारी दी

उधर, आदित्य की बहन निहारिका कुमारी व भाई आलोक गुंजन उसकी सकुशल वापसी के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। उनको भरोसा है कि बिहार सरकार व भारत सरकार आदित्य गौरव समेत तमाम हिदुस्तानियों को वहां से सुरक्षित वतन वापसी करा देगी।आदित्य उन लोगों से बातचीत में बताता है कि वह हास्टल के बेसमेंट में है तथा उसके साथ तमाम छात्र-छात्राएं शरण ले रहे हैं। सरकार से सबको यहीं अपेक्षा और उम्मीद है कि वह जल्द से जल्द उन लोगों को हिदुस्तान उनके घर तक पहुंचाने में मदद करे।

भारतीय दूतावास उन लोगों के संपर्क में है। आदित्य के मुताबिक, जहां वे लोग रह रहे हैं, वहां से पांच-दस किलोमीटर दूर के इलाके में लगातार बमबामी हो रही है। जिसका वीडियो भी उनलोगों ने बनाया है। बमबारी को देखते हुए आसपास की बिजली आपूर्ति काट दी गई है। जिससे हास्टल और बेसमेंट में मोबाइल फोन की रौशनी में सभी जिदगी जी रहे हैं। कल्पना कर सकते हैं उपर से मौत बरस रही है और नीचे खाने-पीने के सामान के साथ जान की हिफाजत में सबका क्या हाल हो रहा होगा। मगर, ये बच्चे हौसला हारे नहीं हैं और उनको पूरा यकीन है कि अविलंब सुरक्षित घर लौट आएंगे।

Also read:  INS Vikrant Commissioning: पीएम मोदी ने देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को नौसेना को किया समर्पित

गाढ़ा के मुकेश सिंह का कहना है कि उनके मित्र के बच्चे के साथ हम तमाम बच्चों की सुरक्षित वापसी के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं। आसमान से बमबारी, हास्टल के बेसमेंट में जिदगी भारी यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई भारत से सस्ती होने के कारण छात्र वहां बड़ी संख्या में एमबीबीएस करने पहुंचे हुए हैं। तुलना में यूक्रेन में फीस कई गुना कम है। जिस कारण मजबूरन बच्चों को दूसरे देशों में मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाना पड़ रहा है। मेडिकल की पढ़ाई सस्ती हो जाए और सीटें बढ़ जाए तो विदेशों में पलायन की मजबूरी नहीं होगी। फिलहाल मेडिकल की पढ़ाई के लिए रसिया, चायना आदि देशों में बच्चे जाते हैं। यूक्रेन में मेडिकल की फीस सालाना 4 लाख रुपए तक है।