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उत्तर प्रदेश में अपने मंत्रियों पर नकेल कसने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक के बाद एक आदेश जारी कर रहे हैं। कुछ दिनों पहले योगी ने फरमान जारी किया था कि तीन महीने के भीतर सभी मंत्रियों और प्रशासनिक अफसरों को चल अचल सम्पत्ति का ब्यौरा देना होगा।

 

योगी ने मंत्रियों के लिए एक और आदेश जारी किया है जिसके तहत अब वह पांच हजार से ज्यादा का तोहफा नहीं ले सकते। सीएम योगी ने मंत्री के लिए तय किया है कि वे 5000 से अधिक के महंगे उपहार न लें।

5,000 रुपये से अधिक की सरकारी संपत्ति

मुख्यमंत्री योगी ने कैबिनेट सहयोगियों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि किसी भी मंत्री को 5,000 रुपये से अधिक का उपहार या प्रतीक चिन्ह स्वीकार नहीं करना चाहिए। यह महंगा तोहफा राज्य सरकार की संपत्ति माना जाएगा। इसे कोषागार में जमा करना होगा। यदि मंत्री महंगा उपहार अपने पास रखना चाहता है तो उसे उपहार के वास्तविक मूल्य से 5000 रुपये काटकर शेष राशि कोषागार में जमा करना होगा।

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पुरस्कार लेने से पहले जांच लें

मंत्री या उसके परिवार को उससे या उसके परिवार से कोई मूल्यवान उपहार नहीं लेना चाहिए जिसके साथ उसका सरकारी लेन-देन है, और न ही उसे कोई कर्ज लेना चाहिए जो उसके कर्तव्य को प्रभावित कर सके। विदेश में प्राप्त प्रतीकात्मक उपहार जैसे सम्मान पत्र, प्रतीक चिन्ह या समारोह संबंधी उपहार मंत्री द्वारा नहीं लिए जा सकते हैं, बाकी को राजकोष में जमा करना होगा। किसी भी संस्था से पुरस्कार लेने से पहले मंत्री को उसकी गहन जांच करनी चाहिए। संस्था ठीक हो तो पुरस्कार लिया जा सकता है, लेकिन नकद नहीं लेना चाहिए। यदि पुरस्कार देने वाली संस्था विदेशी है तो सरकार से अनुमति लेनी होगी। योगी ने आचार संहिता की यह कॉपी मंत्रियों को दी थी।

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आचार संहिता केंद्र सरकार द्वारा साझा की गई थी

जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत सभी निर्वाचित सदस्यों के लिए सार्वजनिक आचरण के मानक तय किए गए हैं। इसके अलावा वर्ष 2009 में गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के मंत्रियों के लिए एक आचार संहिता साझा की थी। इसमें मंत्रियों के लिए पुरस्कार, यात्रा, संपत्ति, परिवार के सदस्यों की भूमिका सहित हर पहलू से संबंधित लक्ष्मण रेखा का उल्लेख है। योगी जब पहली बार मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने सभी मंत्रियों से अपनी संपत्ति का ब्योरा देने को कहा था। योगी ने खुद इसका पालन किया था लेकिन उनके सभी मंत्री इसका पालन नहीं कर सके। अब योगी फिर से मुख्यमंत्री बन गए हैं, इसलिए उन्होंने एक बार फिर सभी मंत्रियों को संपत्ति और आचरण का पाठ पढ़ाया। इतना ही नहीं इस बार उन्होंने सभी मंत्रियों को आचार संहिता की प्रतियां सौंपीं।

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