English മലയാളം

Blog

Screenshot 2022-08-01 154635

 कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कल से दो दिवसीय कर्नाटक के दौरे पर जा रहे हैं. अगले साल की शुरुआत में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस के लिहाज से कर्नाटक काफी महत्वपूर्ण राज्य है।

 

पार्टी के बड़े लीडर्स का मानना है कि कर्नाटक में कांग्रेस अगर एकजुट होकर लड़े तो उसकी सरकार बन सकती है। कर्नाटक में कांग्रेस के अंदर फिलहाल दो गुट हैं जो पार्टी पर अपनी पकड़ चाहते हैं। कांग्रेस का एक बड़ा खेमा है जो कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ रहा है और ये आरोप लगाता रहा है कि जब वह मुख्यमंत्री थे तो जेडीएस से कांग्रेस में आए लीडर्स को ही हमेशा तरजीह देते थे। वहीं दूसरा धड़ा कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डी.के शिवकुमार के मनमाने फैसले लेने की वजह से नाराज रहा है।

Also read:  पहचान छिपाकर किसी महिला से शादी करने या विवाह, पदोन्नति और रोजगार के झूठे वादे की आड़ में यौन संबंध बनाने पर 10 साल की सजा

 

राहुल गांधी 2 अगस्त को हुबली में पार्टी के कार्यक्रम में शामिल होंगे। साथ ही देर शाम पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी की बैठक में हिस्सा लेंगे। कल देर शाम पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी की पहली बैठक बुलाई गई है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के मठ के स्वामी और ओबीसी समुदाय के मठ के स्वामी से भी मुलाकात करेंगे।

Also read:  किसान आंदोलन: किसानों की नई रणनीति, दिल्ली बॉर्डर पर कम की जा रही है भीड़

 

सिद्धारमैया के जन्मदिन पर 3 अगस्त को कर्नाटक के दावनगेरे में एक बड़ा कार्यक्रम रखा गया है। अगले साल की शुरुआत में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, उससे पहले सिद्धारमैया के जन्मदिन को लेकर इतने बड़े कार्यक्रम को शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। राज्य के अपने पिछले दौरे पर राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओं को मिशन 150 सीट का लक्ष्य दिया था और नसीहत दी थी की सबको एकजुट होकर चुनाव लड़ना है।

Also read:  एचएच सैय्यद बेलराब ने ओमानी प्रॉमिसिंग स्टार्टअप्स कमेटी की बैठक की अध्यक्षता की

 

कर्नाटक के अंदर प्रदेश अध्यक्ष डी.के शिवकुमार और विधायक दल के नेता सिद्धारमैया के बीच मनमुटाव की खबरें जगजाहिर हैं। दोनों गुट विधायको और संगठन पर अपनी पकड़ बनाए रखना चाहते हैं और पार्टी के अंदर वर्चस्व की लड़ाई को लेकर आमने सामने होते रहे हैं। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती दोनों गुटों को एकजुट करने की है।