राजवीर सिंह जादौन ने किसानों से कहा कि मतदान जरूर करें लेकिन नाराजगी वोट पर जरूर जाहिर करें। 13 महीने के आंदोलन के बाद सरकार आज भी एमएसपी पर कानून नहीं बना सकी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का गुरुवार को पहला चरण था जिसमें पश्चिम यूपी की 58 सीटों पर मतदान हुआ। इन सीटों पर बीजेपी के 8 मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर हैं। लंबे समय तक चले किसान आंदोलन ने जाटलैंड की सीटों की हवा पहले से ही बिगाड़ रखी है। वहीं जालौन (Jalaun) में भारतीय किसान यूनियन (Bharatiya Kisan Union) के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने चुनाव को लेकर किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसान नोटा का इस्तेमाल न करें बल्कि अपने आक्रोश का इस्तेमाल सरकार के खिलाफ करें।
एमएसपी पर कानून नहीं बना-जादौन
भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि मतदान जरूर करें लेकिन अपनी नाराजगी वोट पर जरूर जाहिर करें। 13 महीने के आंदोलन के बाद सरकार आज भी एमएसपी पर कानून नहीं बना सकी। बीजेपी के घोषणापत्र हवाहवाई हैं। उन्होंने कहा कि यहां के किसानों को मंहगी बिजली मिल रही हैं और फसलों के ठीक दाम तक नहीं मिल रहे हैं। बता दें कि यूपी में 7 चरणों में चुनाव संपन्न कराये जाने हैं. इन चरणों के तहत 10 फरवरी, 14 फरवरी, 20 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवरी, 3 मार्च और 7 मार्च को मतदान होगा। 10 मार्च को चुनाव के नतीजे आएंगे।
लड़ाई सरकार से-जादौन
भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने कहा, देश में 13 महीनें तक चले किसान आंदोलन ने बीजेपी सरकार के लिए मुसीबतें खड़ी कर दी है क्योंकि इन 13 महीनों के दौरान किसानों ने हर मौसम की मार झेली हैं और कई किसानों को इस आंदोलन की आहूति में अपनी जान तक गवांनी पड़ी। जादौन ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि हमारी लड़ाई सरकार से है। 13 महीनों के आंदोलन के बाद किसान अपने घर वापस लौटे सके और इसमें से कई मौत की नींद सो गए।
किसान आंदोलन को मजबूर होंगे-जादौन
राजवीर सिंह जादौन ने कहा, किसानों को अब नोटा नहीं दबाना हैं, बल्कि अपने आक्रोश का इस्तेमाल उस सरकार के खिलाफ करना है जो हमारी नहीं सुनती हैं इसलिए मतदान जरूर करें। हमनें 13 महीने आंदोलन किया है, फसल के दाम नहीं मिल रहे हैं और मंहगी बिजली दी जा रहीं है। इस बातों को ध्यान में रखकर किसान मतदान करें। सरकार को हमारी मांगे माननी पड़ेंगी। अगर एमएसपी पर कमेटी नहीं बनती हैं तो फिर से यहां के किसान आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। यह बात अब साफ हो गयी कि किसानों के बिना कोई सरकार नहीं बनने वाली।