English മലയാളം

Blog

Screenshot 2023-07-11 181432

प्रवर्तन निदेशालय, मौजूदा समय में ईडी डायरेक्टर के कार्यकाल विस्तार का मामला सुर्खियों में बना हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंतर्गत आता है।

यह आर्थिक अपराधों से लड़ने और FEMA (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999) और PMLA (धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002) को लागू करने के लिए जिम्मेदार है। इसमें आईएएस, आईपीएस और आईआरएस अधिकारी और ईडी के अपने कैडर से पदोन्नत अधिकारी भी शामिल होते हैं। आज हम आपको इस खबर के जरिए बताएंगे कि ईडी के डायरोक्टर की नियुक्ति कैसी होती है।

Also read:  मोरबी पुल हादसे मामले में हाईकोर्ट में दाखिल हुई PIL,2 नवंबर को राज्यव्यापी शोक

कैसे होती है ईडी के डायरेक्टर की नियुक्ति 

ईडी निदेशक की नियुक्ति केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 के प्रावधानों के अनुसार की जाती है। केंद्र एक समिति की सिफारिश पर निदेशक की नियुक्ति करता है, जिसका अध्यक्ष केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (central vigilence commissior) होता है। समिति के अन्य सदस्य वित्त (राजस्व), गृह और कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालयों में सचिव होते हैं। UPSC प्रतियोगी परीक्षा के बाद एक साक्षात्कार के माध्यम से उम्मीदवारों का चयन किया जाता है। चयनित उम्मीदवार का नाम अंतिम अनुमोदन के लिए एसीसी को भेजा जाता है।

Also read:  1 अप्रैल को पीएम मोदी करेंगे 'परीक्षा पे चर्चा', कहा-गजब का उत्साह

वर्तमान में ईडी डायरेक्टर से जुड़ा क्या है विवाद

गौरतलब है कि ईडी के वर्तमान निदेशक संजय मिश्रा को 19 नवंबर 2018 को 2 साल के लिए ईडी डायरेक्टर का पद सौंपा गया था। फिर उन्हें नवंबर, 2020 में पद छोड़ना था, पर इससे पहले मई में ही वे रिटायरमेंट की उम्र यानी 60 साल के हो गए थे। इसके बाद नवंबर 2020 में उनका कार्यकाल खत्म होने से पहले केंद्र सरकार ने उनका कार्यकाल बढ़ाकर तीन साल कर दिया था। इसके बाद साल 2021 में सरकारी एक अध्यादेश लेकर आई जिसमें यह कहा गया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी के निदेशक का कार्यकाल दो साल से अधिकतम पांच साल तक बढ़ाया जाए, जो संसद में पारित कर दिया गया। इसके बाद से ही विवाद छिड़ गया।

Also read:  होली के दिन दिल्ली मेट्रो के समय में बदलाव, जानें मेट्रो का समय

क्या करती है ED

भारत में ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय आर्थिक कानूनों और विनियमों को लागू करने, वित्तीय अपराधों की जांच करने के साथ ही गैरकानूनी तरीकों से अर्जित संपत्ती को जब्त करने का काम करती है।