English മലയാളം

Blog

NIRMALA SITHARAMAN

नई दिल्ली: 

राज्यों के बकाए जीएसटी (Goods and Services Tax) मुआवजे पर पिछले चार महीनों से चल रही तनातनी को खत्म करने के लिए केंद्र ने आखिरकार खुद उधार लेने का फैसला किया है. केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए खुद 1.1 लाख करोड़ का उधार लेने का ऐलान किया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों को एक चिट्ठी लिखते हुए इसका कारण बताया है.

उन्होंने चिट्ठी में लिखा है, ‘कई राज्यों के सुझावों पर, अब यह फैसला किया गया है कि केंद्र सरकार खुद यह रकम लेगी फिर लोन के रूप में राज्यों को वापस कर देगी. इससे उधार की प्रक्रिया और सहयोग में आसानी होगी, वहीं ब्याज दरें अनुकूल हों, यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा.’

Also read:  वैश्विक स्तर पर 2023 में बेबी पाउडर की बिक्री बंद करेगी जॉनसन एंड जॉनसन

बता दें कि गिरती अर्थव्यवस्था के बीच राज्यों के जीएसटी कलेक्शन में बड़ी गिरावट आई है. और जैसाकि जीएसटी कानून में प्रावधान है कि यह कानून लागू होने के पहले पांच साल में राज्यों को होने वाले राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र मुआवजा देगा. उसके हिसाब से केंद्र को राज्यों को मुआवजा देना चाहिए. लेकिन केंद्र का कहना है कि इस बार अर्थव्यवस्था में गिरावट की वजह से इस साल राज्यों को जीएसटी मुआवजे में शॉर्टफॉल 2.35 लाख करोड़ तक रहने का अंदेशा है.

Also read:  मणिपुर के आदिवासियों का दल आज शाह से करेगा मुलाकात, मणिपुर में कर्फ्यू में दोपहर तक की दी गई ढील

केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को खर्चे की भरपाई उधार लेकर करने का प्रस्ताव दिया गया था. इस प्रस्ताव को कई राज्यों ने स्वीकार कर लिया था लेकिन कई राज्य मुआवजे की भरपाई की मांग कर रहे थे. इस मुद्दे को लेकर चार महीने से बहस हो रही थी और कई जीएसटी परिषद की बैठकों में भी फैसला नहीं हो पाया था लेकिन अब अचानक केंद्र सरकार ने खुद 1.1 लाख करोड़ रकम उधार लेने के फैसला किया है.

Also read:  बृजेश पाठक ने ओमप्रकाश राजभर को अटल बिहारी बाजपेई फाउंडेशन का सह अध्यक्ष नियुक्त किया

वित्तमंत्री ने कहा कि ब्याज दरें उचत रखी जाएंगी और सेस से मिलने वाली आय से ब्याज और मूलधन की भरपाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि मुआवजे का पूरा बकाया धीरे-धीरे करके राज्यों को चुका दिया जाएगा. निर्मला सीतारमण ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि वो इस तथ्य के प्रति ‘संवेदनशील हैं कि राज्यों को ज्यादा उधारी लेने फिर ब्याज और कर्ज के दुष्परिणामों से बचाने की जरूरत है.’ इसलिए केंद्र सरकार इस तरह उधार लेने की व्यवस्था करेगा कि इसकी लागत केंद्र सरकार की ब्याज दर या उसके करीब होगी.