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पीएनबी में 13 हजार करोड़ रुपये के घोटाले में वांछित भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को इंटरपोल से बड़ी राहत मिली है। मेहुल चोकसी का नाम इंटरपोल के ‘रेड नोटिस’ की सूची से हटाया गया है।

 

पंजाब नेशनल बैंक में 13,000 करोड़ रुपये के घोटाले में वांछित भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी का नाम इंटरपोल के ‘रेड नोटिस’ से हटा दिया गया है।सूत्रों ने यह जानकारी दी है. सूत्रों के मुताबिक, फ्रांस के लियोन शहर स्थित इंटरपोल के मुख्यालय में चोकसी द्वारा दायर याचिका के आधार पर यह कदम उठाया गया है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस घटनाक्रम पर चुप्पी साध ली है।

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‘रेड नोटिस’, 195-सदस्यीय देशों के संगठन इंटरपोल द्वारा दुनिया भर में कानून लागू करने वाली एजेंसियों को प्रत्यर्पण, आत्मसमर्पण या इसी तरह की कानूनी कार्रवाई के लिए आरोपी व्यक्ति का पता लगाने और हिरासत में लेने के लिए जारी किया गया ‘अलर्ट’ का उच्चतम स्तर है। इंटरपोल ने साल 2018 में चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया था। भारत से फरार होने के लगभग 10 महीने बाद यह नोटिस जारी किया गया था। उसी साल चोकसी ने एंटीगुआ एवं बारबुडा की नागरिकता ले ली थी।

सूत्रों ने बताया कि चोकसी ने अपने खिलाफ रेड नोटिस जारी करने संबंधी सीबीआई के आवेदन को चुनौती दी थी और इस मामले को राजनीतिक साजिश का नतीजा करार दिया था। चोकसी ने अपनी याचिका में भारत में जेल की स्थिति, उसकी व्यक्तिगत सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को भी उठाया था।

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दरअसल, दो साल पहले मई के महीने में चोकसी अपने एंटीगुआ वाले घर से संदिग्ध परिस्थितियों गायब हो गए था। शुरुआती जांच में पाया गया कि चोकसी डोमिनिका भाग गया था लेकिन बाद में चोकसी सामने आया और कहा कि उसे रॉ (RAW) ने उसे किडनैप किया था। बता दें, साल 2018 में पंजाब नेशनल बैंक में करीब 13 हजार करोड़ रुपये के घोटाले खुलासा हुआ था। उसके बाद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी लेकिन उससे पहले मेहुल चोकसी देश छोड़कर भाग गया।

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क्या होता है रेड कॉर्नर नोटिस:दरअसल, किसी शख्स के ऊपर आपराधिक मामला दर्ज हो और वह देश छोड़कर भाग जाए, तो उस शख्स को ढूंढने लिए इंटरपोल की ओर से रेड कॉनर्र नोटिस जारी किया जाता है। रेड नोटिस जारी होने का यह मतलब बिल्कुल नहीं कि संबंधित व्यक्ति दोषी ही है। इस नोटिस के जरिए पकड़े गए व्यक्ति को वापस उस देश में भेज दिया जाता है, जहां पर उसने कोई अपराध किया होता है।