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सुल्ली डील्स और बुल्ली बाई ऐप मामले में एक नया मोड़ सामने आया है। दिल्ली की एक अदालत ने कथित ‘बुल्ली बाई’ मामले के आरोपी नीरज बिश्नोई और ‘सुल्ली डील्स’ ऐप के निर्माता ओंकारेश्वर ठाकुर को मानवीय आधार पर जमानत दे दी।

 

अदालत ने माना कि आरोपी पहली बार अपराधी बने हैं और लगातार जेल में रहना उनके के लिए हानिकारक होगा। अदालत ने आरोपी व्यक्तियों पर सख्त शर्तें लगाई हैं, ताकि वे किसी गवाह को धमका न सकें और किसी भी सबूत को खराब न कर सकें। शर्तों में यह शामिल है कि आरोपी व्यक्ति किसी भी पीड़ित से संपर्क करने, प्रभावित करने, प्रेरित करने का प्रयास नहीं करेगा।

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जांच अधिकारी को अपना संपर्क विवरण देगा, अपना फोन चालू रखेगा

आदेश में कहा गया है कि आरोपी व्यक्ति सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेगा, जांच अधिकारी को अपना संपर्क विवरण देगा, अपना फोन चालू रखेगा और आईओ को अपनी जगह को बारे में बताएगा। इसमें कहा गया है कि आरोपी देश नहीं छोड़ेंगे और हर तारीख को अदालत के सामने पेश होंगे, जमानत पर रहते हुए एक समान अपराध नहीं करेंगे।

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मुंबई पुलिस ने अपने दावे में कहा था कि

कुछ दिन पहले ही मुंबई पुलिस ने अपने आरोप पत्र में बताया कि बुल्ली बाई ऐप बनाने वाले नीरज बिश्नोई ने एक सह-अभियुक्त को 100 प्रसिद्ध ‘गैर-भाजपाई’ मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें भेजने को कहा था, ताकि उन्हें नीलामी के लिए रखा जा सके। गिरफ्तार आरोपियों में से एक नीरज सिंह के बयान का हवाला देते हुए पुलिस ने दावा किया कि जून 2020 में विश्नोई ने सिंह को कहा था कि वह सोशल मीडिया ग्रुप पर कुछ बड़ा ‘धमाका’ करने की योजना बना रहा है।

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दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने के लिए की गई थीं

पुलिस ने आरोप लगाया कि आरोपियों को सोशल मीडिया पर नीलामी की बात फैलाने की सलाह दी गई थी। इस तरह की गतिविधियां दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने के लिए की गई थीं। आरोप-पत्र में कहा गया कि ऐसी कोई नीलामी या बिक्री नहीं हुई थी। मालूम होता है कि इसका उद्देश्य कुछ महिलाओं को डराना या अपमानित करना था। इन महिलाओं में से कई सक्रिय सोशल मीडिया यूजर थीं।