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लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही भाजपा नए रणनीतिक पैंतरे आजमाती नजर आ रही है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की टीम में कोई जाट चेहरा शामिल न कर पार्टी ने राष्ट्रीय लोकदल के लिए खिड़की खुली रखने का संकेत दिया है। जबकि गुर्जर चेहरे के रूप में राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र नागर और राजस्थान की अलका गुर्जर को राष्ट्रीय मंत्री बनाया गया।

रणनीतिकारों का कहना है कि जेपी नड्डा की टीम मिशन-2024 को देखते हुए डिजाइन की गई है जिसमें पहली बार पश्चिम यूपी से दो चेहरे शामिल किए गए। लेकिन जाट की जगह ब्राह्मण और गुर्जर समीकरण साधा गया। पार्टी दबाव की राजनीति से उबरते हुए नई चुनावी पटकथा लिख रही है।

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जयन्त को साधने में जुटा एनडीए

भाजपा हर हाल में 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने का फार्मूला खोज रही है। पूर्वांचल में पार्टी ने विरोधी खेमे में जा चुके ओमप्रकाश राजभर एवं दारा सिंह जैसे चेहरों को साथ ले लिया, वहीं पश्चिम यूपी में रालोद पर नजर टिकी है।

2022 विधानसभा एवं खतौली उपचुनाव के परिणाम से साफ हुआ कि जाट वोटर पूरी तरह भाजपा से जुड़ नहीं पाया है। यह वर्ग जयन्त चौधरी के साथ मुद्दों से ज्यादा भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है। ऐसे में भाजपा के कई नेता जयन्त को एनडीए में शामिल करने के पक्ष में हैं।

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जेपी नड्डा की टीम ने नहीं है कोई जाट चेहरा

रणनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि इन्हीं समीकरणों को गठबंधन के जरिए साधने के लिए जेपी नड्डा की टीम में जाट चेहरा नहीं रखा गया। जबकि पूर्व में सत्यपाल मलिक को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर जाट समीकरण साधा गया था।

जयन्त चौधरी भी हवा का रुख परखते हुए सधे कदमों से बढ़ रहे हैं। वह एनडीए और विरोधी गठबंधन के सामने स्वयं को मजबूत बनाने में जुटे हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव से रिश्तों में खटास का हवाला देते हुए रालोद का एक खेमा छोटे चौधरी को एनडीए में शामिल होने के फायदे बता रहा है।

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जातीय राजनीति करने वालों पर डोरे

भाजपा ऐसे चेहरों को जोड़ने में जुटी है जिनकी अपनी जाति पर पकड़ है। इसी कड़ी में पूर्व मंत्री साहब सिंह सैनी और राजपाल सैनी को भगवा पटका पहनाया गया। पश्चिम उप्र एवं ब्राह्मणों को साधने के लिए राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया तो गुर्जर वोटों में पकड़ रखने वाले सुरेंद्र नागर को राष्ट्रीय मंत्री का ओहदा दिया।

पसमांदा समाज के मुस्लिमों को साधने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. तारिक मंसूर को चार माह में एमएलसी से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तक पहुंचा दिया।