English മലയാളം

Blog

Screenshot 2022-05-17 195215

सोनू का दाखिला नवोदय विद्यालय में कराने का किया वादा साथ ही मैट्रिक तक हर माह 2 हजार सहायता राशि देने की बात कही 11 बरस के सोनू ने सीएम नीतीश कुमार से मांगी थी शिक्षा

 बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने बेबाकी से अपनी बात रखने वाले 11 बरस के सोन की चर्चा खूब हो रही है।

सोनू ने बिहार के सीएम से ये मांग करते हुए कहा था कि हमें धन-दौलत नहीं, बस हमें शिक्षा दे दीजिए, ताकि हम आईएएस बनकर समाज सेवा कर सकें।’उसी बच्चे मंगलवार को राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने मुलाकात की और उनकी मदद करने का वादा किया। मदद के रूप में बीजेपी सांसद ने सोनू का दाखिला नवोदय विद्यालय में कराने और मैट्रिक तक दो हजार रुपये सहायता राशि देने का भी वादा किया।

Also read:  एयर डिफेंस सिस्टम (S-400 Air Defence System) की आपूर्ति के संबंध में कोई बाधा नहीं- रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव

नवोदय विद्याल में होगा होगा सोनू का दाखिला

इस मुलाकात की तस्वीरें बीजेपी सांसद ने अपने फेसबुक पेज पर साझा की है। उन्होंने लिखा है- मुख्यमंत्री के समक्ष हिम्मत के साथ अपनी बात रखने वाले सोनू से उसके गाँव में जाकर मुलाक़ात की। नवोदय विद्यालय में नामांकन होगा। प्रति माह 2 हज़ार रुपए उसके खाते में मैट्रिक तक सहयोग करूँगा।

Also read:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषण के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 'मत्स्यपालन मंत्रालय बनाएंगे' वाली टिप्पणी सुनकर हैरान, PM बोले "मैं स्तब्ध था..."

सीएम की जनता दरबार में पहुंचे थे सोनू

दरअसल, हुआ यूं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को अपने पैतृक गांव हरनौत के कल्याण विगहा पहुंचे में थे। यहां उन्होंने अपनी दिवंगत पत्नी मंजू देवी की पुण्यतिथि के मौके पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद गांव के स्कूल में जनता दरबार का आयोजन किया था।

सोशल मीडिया पर हो रहा है वीडियो वायरल

इस दरबार नीमा कोला गांव का रहने वाला सोनू भी पहुंचा था। तब उन्होंने अपने सीएम से शिक्षा की गुहार लगाई थी। सोनू की गुहार वाला यह वीडियो सोशल नेटवर्किंग साइट पर वायरल हुआ जिसने भी सोनू की बात सुनी, सबने उसकी तारीफ की।

Also read:  हज और उमराह के लिए जरूरी सभी टीके मुफ्त उपलब्ध हैं

सरकारी स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा पर उठाया था सवाल

सोनू ने बिहार के सरकारी स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा पर भी सवाल उठाया था। उन्होंन कहा था कि वहां के शिक्षकों को कम ज्ञान है, न उन्हें अंग्रेजी ठीक आती है और न ही किसी विषय की पूरी जानकारी है, इसलिए वह सरकारी स्कूल में तो कतई पढ़ना नहीं चाहता। साथ ही उसकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है।