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गुवाहाटी: 

असम की पार्टी असम गण परिषद के अध्यक्ष अतुल बोरा ने रविवार को ऐसे इशारे दिए कि पार्टी को अब लगता है कि इसके संस्थापक और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके प्रफुल्ला कुमार महंता के इन चुनावों में जीतने की संभावना नहीं है और साथ ही उनकी खराब सेहत के चलते पार्टी ने अपनी गठबंधन सहयोगी बीजेपी को उनकी पारंपरिक विधानसभा सीट बरहामपुर से एक उम्मीदवार उतारने की अनुमति दे दी है. महंता यहां से छह बार विधायक रह चुके हैं. बीजेपी ने उनकी जगह पर जीतू गोस्वामी को जगह दी है.

AGP की सहयोगी बीजेपी और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल के साथ गुवाहाटी में एक जॉइंट कॉन्फ्रेंस में बोरा ने कहा, ‘हमने अलग-अलग विधानसभाओं में अलग-अलग उम्मीदवारों की जीतने की संभावनाओं को लेकर गहन अध्ययन किया है और जीतने की संभावनाओं को देखते हुए हम इस फैसले पर पहुंचे हैं.’ उन्होंने आगे कहा कि ‘यह उनके (महंता) के खिलाफ किसी तरह का असम्मान दिखाने के लिए नहीं, बल्कि पार्टी के लिए अधिक सीटों पर जीत के मौके बढ़ाने के लिए किया जा रहा है.’

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बता दें कि 1985 में पार्टी की स्थापना करने वाले और तत्कालीन अध्यक्ष प्रफुल्ला कुमार महंता ने पार्टी को जीत दिलाई थी और असम के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे. फिर लगातार छह कार्यकाल के लिए बरहामपुर से जीतते रहे. वो 2006 में AGP से अलग हो गए थे और AGP (प्रोग्रेसिव) का गठन किया था. तब भी वो बरहामपुर से जीते थे. बाद में AGP (प्रोग्रेसिव) फिर से AGP में शामिल हो गई थी. हालांकि, अब जब उन्हें पार्टी ने उम्मीदवारों की लिस्ट से बाहर कर दिया है तो सूत्रों के मुताबिक जानकारी है कि AGP (प्रोग्रेसिव) को दोबारा जिंदा करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं.

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जब अतुल बोरा से पूछा गया कि क्या पार्टी ने उनकी सीट बीजेपी को देने से पहले उनसे सलाह ली है, तो उन्होंने इसपर कमेंट करने से इनकार कर दिया. हालांकि, महंता और पार्टी नेताओं के बीच 2018 से ही मतभेद शुरू हो गए थे, जब बीजेपी ने नागरिकता संशोधन बिल पास करने पर जोर दिया था. संसद में AGP ने पहले बिल का विरोध किया था, लेकिन बाद में समर्थन दे दिया था. महंता तब भी इसके विरोध में थे. यह बिल दिसंबर, 2019 में पास कर दिया गया.