English മലയാളം

Blog

Screenshot 2023-02-07 114454

देशभर में रामचरितमानस को लेकर जंग छिड़ी हुई है। एक ओर जहाँ सियासी रोटियाँ सेंकने के लिए नेता बेतुके बयान दे रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ, मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के एक छोटे से गाँव में पिछले 7 वर्षों से 24 घण्टे रामचरितमानस का पाठ किया जा रहा है। इसके लिए 130 व्यक्तियों का समूह शिफ्ट बनाकर पाठ करता है।

 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रतलाम जिले के पंचेड़ गाँव में रामचरितमानस के पाठ की परंपरा वर्ष 1985 से चली आ रही है। मगर वर्ष 2016 में इस परंपरा में बड़ा परिवर्तन हुआ। दरअसल, 2016 में महाकाल की नगरी उज्जैन में सिहंस्थ कुंभ मेले का आयोजन हुआ था। यहाँ स्वामी प्रसाद मौर्या जैसे जातिवादियों की दाल नहीं गलती, क्योंकि सभी वर्ग के लोग साथ-साथ अपनी साझा आस्था एवं विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, उस पर गर्व कर रहे हैं। इस आयोजन का पंचेड़ गाँव के लोगों में ऐसा असर हुआ कि गांव के लोगों ने रामचरितमानस का वर्ष भर पाठ करने का फैसला किया लिया। हालाँकि, गाँव वालों के लिए यह फैसला चुनौती भरा था। सबसे बड़ा सवाल यह था कि वर्ष के 365 दिन और 24 घण्टे अखण्ड रामचरितमानस का पाठ कैसे होगा?

Also read:  किसानों के समर्थन में कमल हासन, कहा जो देश “कृषि का सम्मान नहीं करता उसका पतन हो जाता है”

हालाँकि, इसके पश्चात् ग्रामीणों ने 130 व्यक्तियों का एक समूह बनाया। इस समूह को 4-4 सदस्यों में बाँटा गया। साथ ही सभी को एक-एक घण्टे रामचरितमानस का पाठ करने का काम सौंपा गया। लोगों ने पुण्य के इस कार्य को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया। इसके पश्चात् से ही पिछले 7 वर्षों से पंचेड़ गाँव में स्थित महादेव एवं हनुमान जी के मंदिर में हर रोज 24 घण्टे रामचरितमानस की चौपाइयाँ गूँज रहीं हैं। गाँव मे पिछले 7 वर्षों से किए जा रहे अखंड रामचरितमानस के पाठ का प्रभाव यहाँ के युवाओं पर भी पड़ रहा है। गाँव के ऐसे कई युवा हैं जिन्हें रामचरितमानस की दोहे और चौपाइयाँ कंठस्थ हो गईं हैं। साथ ही, प्रभु श्रीराम के चरित्र का गुणगान सुन गाँव के लोगों का धार्मिक एवं सांस्कृतिक विकास भी हो रहा है। रामचरितमानस के पाठ को लेकर पंचेड़ गाँव के सरपंच ने बोला कि गाँव के लोग बीते 7 वर्षों से इस परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं। गाँव के लोगों की टीम बनी है। यह टीम अपने-अपने वक़्त पर आकर रामचरितमानस का पाठ करती है। ऐसे में निरंतर पाठ भी चलता रहता है तथा किसी एक व्यक्ति पर भार नहीं पड़ता। सरपंच ने यह भी बोला है कि रामचरितमानस के प्रभाव से गाँव में जातिवाद नहीं है। सभी जातिवर्ग के लोग रामचरितमानस के पाठ में अपना योगदान देते हैं।

Also read:  कैबिनेट ने किंगडम और फ्रांस को ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग का आदेश दिया