अमेरिकी कंपनी एपल ने दुनियाभर में अपनी अलग पहचान बनाई है। iPhone बनाने वाली इस कंपनी को वैसे तो ग्राहकों के हितों की सुरक्षा करने के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार कंपनी एक विवाद के चलते चर्चओं में है। जिसकी वजह से कंपनी पर batterygate मामले के समझौते के लिए 113 मिलियन डॉलर (लगभग 8.3 अरब रुपये) का जुर्माना लगा है।
कुल 45.54 अरब रुपये का लगा जुर्माना
अमेरिका के करीब 34 राज्य मिल कर एपल की जांच कर रहे थे। कंपनी पहले इस मामले में 500 मिलियन डॉलर के जुर्माने का भुगतान कर चुकी है। अब एपल को अपने ग्राहकों के पुराने आईफोन को स्लो करने के लिए कुल 613 (500+113) मिलियन डॉलर (करीब 45.54 अरब रुपये) चुकाने हैं।
क्या है बैटरीगेट (batterygate) मामला?
दरअसल, साल 2017 में एपल ने एक अपडेट जारी किया था जिससे पुराने iPhone स्लो हो गए थे। अपडेट जारी करने से पहले कंपनी ने अपने ग्राहकों को इसकी जानकारी नहीं दी थी। यानी कंपनी ने अपडेट देकर ग्राहकों का पुराना आईफोन स्लो कर दिया। हालांकि इसपर कंपनी ने कहा था कि पुरानी बैटरी की वजह से फोन खुद से शटडाउन न हों या फोन में दूसरी समस्याएं न आएं, इसलिए अपडेट जारी किया गया।
कंपनी पर लगा ये आरोप
मामले में राज्यों का कहना था कि एपल लोगों को नए और महंगे आईफोन खरीदने के लिए मजबूर कर रही है। राज्यों के अनुसार, पुराने फोन को अपडेट के जरिए स्लो कर दिया जाता है ताकि लोग कंपनी के नए और महंगे iPhone खरीदें।
इस संदर्भ में Arizona के अटॉर्नी जर्नल मार्क बर्नोविक ने कहा कि, ‘बड़ी कंपनियों को ग्राहकों के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए और अपने उत्पादों के बारे में उन्हें पूरी जानकारी देनी चाहिए। बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां अगर अपने ग्राहकों से सच्चाई छिपाती हैं, तो ऐसे में मैं कंपनियों को अपने कारनामों की जिम्मेदारी दिलाने के लिए प्रदिब्द्ध हूं।’
कंपनी ने आरोप मानने से किया इनकार
एपल यह जुर्माना भरने के लिए राजी हो गई है, लेकिन कंपनी ने ये आरोप मानने से इनकार किया है कि उनसे गलती हुई है। कंपनी ने कहा कि अपडेट से पुराने आईफोन स्लो जरूर हुए हैं, लेकिन यह इसलिए किया गया ताकि बैटरी सेफ रहे और फोन अपने आप शटडाउन न हो।