स्पाइसजेट के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने एक बयान में कहा कि परिचालन लागत को बेहतर बनाए रखने के लिए हवाई किराए में कम से कम 10-15 फीसदी की बढ़ोतरी की जरूरत है।
25 मई, 2020 को लॉकडाउन हटने के बाद जब विमान सेवांए फिर से चालू की गयी थी तब मंत्रालय ने उड़ान की अवधि के आधार पर घरेलू हवाई किराए पर निचली और ऊपरी सीमाएं लगाई थीं। एयरलाइंस वर्तमान में किसी यात्री से 40 मिनट से कम अवधि वाली उड़ानों पर 2,900 रुपये (जीएसटी को छोड़कर) से कम और 8,800 रुपये (जीएसटी को छोड़कर) से अधिक शुल्क नहीं ले सकती हैं।
घाटे से निपटने के लिए किए गए थे व्यवधान
अजय सिंह ने अपने बयान में कहा कि यात्रा पर रोक लगने के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान से एयरलाइंस को निपटने के लिए इस तरह के व्यवधान किए गये थे। ऊपरी सीमा तय इसलिए की गई थी ताकि सीटों की मांग अधिक होने पर यात्रियों से भारी शुल्क न लिया जाए।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ रही है कीमतें
अजय सिंह ने कहा कि 24 फरवरी को रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से ईंधन की कीमतें बढ़ रही हैं। जून 2021 के बाद से एटीएफ की कीमतों में 120 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा, यह भारी वृद्धि टिकाऊ नहीं है और केंद्र सरकार और राज्य सरकार को एटीएफ पर टैक्स को कम करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है। यह टैक्स दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि स्पाइसजेट ने पिछले कुछ महीनों में ईंधन की कीमतों में इस वृद्धि का अधिक से अधिक बोझ उठाने की कोशिश की है, जो हमारी परिचालन लागत का 50 प्रतिशत से अधिक है। उन्होंने कहा, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर होने से एयरलाइंस पर और असर पड़ता है क्योंकि हमारी पर्याप्त लागत या तो डॉलर मूल्यवर्ग की है या डॉलर के मुकाबले आंकी गई है।