English മലയാളം

Blog

चंडीगढ़ : 

केंद्र के नए कृषि कानून (Farm Laws) के विरोध में पंजाब विधानसभा में विधेयक पेश करने की तैयारी चल रही है. विधेयक का मसौदा साझा नहीं करने को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों ने सोमवार को अमरिंदर सिंह सरकार के खिलाफ विधानसभा में धरना दिया और विधानसभा परिसर में रात व्यतीत की. तस्वीरों में आम आदमी पार्टी के विधायक विधानसभा परिसर में बैठे हुए नजर आ रहे हैं. आप विधायकों की सरकार से मांग की थी कि मंगलवार को केंद्र के कृषि कानून के खिलाफ विधानसभा में पेश होने वाले प्रस्तावित बिल की प्रतियां उन्हें दी जाए.

Also read:  गौतमबुद्ध नगर में आगामी त्योहारों के मद्देनजर जिले में 31 मार्च तक धारा 144 लागू की गई

पंजाब सरकार केंद्र के नए कृषि कानून के प्रभाव से निपटने के लिए जहां तक संभव हो राज्य के कानूनों का इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है.

आप (Aam Aadmi Party) नेता और नेता विपक्ष हरपाल चीमा ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से कहा, “आम आदमी पार्टी कृषि कानून के खिलाफ पेश कानून का समर्थन करेगी, लेकिन सरकार की ओर से हमें विधेयक की प्रतियां उपलब्ध नहीं कराई गई हैं. हमें अन्य विधेयकों की प्रतियां भी नहीं दी गई है. ऐसे में हमारे विधायक कैसे अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे और उस पर बहस करेंगे?”

Also read:  दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर बैठे किसानों को वाई-फाई देगी केजरीवाल सरकार, हॉटस्पॉट लगाने का एलान

बता दें कि विपक्षी पार्टियों ने पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के पहले दिन केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में विधेयक पटल पर नहीं रखने को लेकर राज्य सरकार की सोमवार को आलोचना की. इस दौरान ‘आप’ विधायकों ने सदन में धरना भी दिया. सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है. आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक देर शाम तक विधानसभा के बीचों-बीच बैठे रहे, जिसके बाद वे विधानसभा के बाहर गैलरी में चले गए, लेकिन वे सदन परिसर के भीतर ही रहे और उन्होंने उस विधेयक की प्रतियों की मांग की, जिसे मंगलवार को राज्य की कांग्रेस सरकार पेश करने वाली है.

Also read:  हाथरस: आप सांसद संजय सिंह और विधायक राखी बिड़लान पर फेंकी गई काली स्याही

इस बीच, राज्य विधानसभा में शिअद ने कहा कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ विधेयक सोमवार को ही पेश किया जाना चाहिए था. पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा अध्यक्ष राणा के पी सिंह से शाम को मुलाकात की और विधेयकों की प्रतियां नहीं मिलने पर आपत्ति जताई. शिअद नेताओं ने इसे ‘‘लोकतंत्र की हत्या” करार दिया.