बुधवार को श्रीनगर में न्यूनतम तापमान शून्य से 1.8 नीचे था, जबकि पहलगाम में शून्य से 5.2 और गुलमर्ग में शून्य से 4.0 नीचे था। मौसम विभाग ने आने वाले कुछ दिनों में रात को और ठंड होने और न्यूनतम में गिरावट का अनुमान लगाया है।
जम्मू-कश्मीर के पुंछ इलाके में भारी बर्फबारी के बाद मुगल रोड पर ट्रैफिक को बंद कर दिया गया। यह सड़क सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण अक्सर बंद रहती है। मुगल रोड जम्मू क्षेत्र के पुंछ और राजौरी जिलों को दक्षिण कश्मीर के शोपियां से जोड़ती है। सड़क से मशीनों के जरिए बर्फ को हटाने का काम जारी है। कश्मीर घाटी में बुधवार को भी लगभग सभी जगहों पर न्यूनतम तापमान जमाव बिंदु से नीचे रहा।
श्रीनगर मौसम विज्ञान केंद्र ने बताया कि अनुमान के मुताबिक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में न्यूनतम तापमान में 4-5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है। वहीं तंगमार्ग, गुलमर्ग और बाबरेशी इलाके में आज सुबह 4 बजे से 2-3 इंच ताजा बर्फबारी हुई। सभी जगहों पर बर्फ को हटाने का काम जारी है। मौसम विभाग के मुताबिक, 23 और 24 दिसंबर जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में बारिश भी हो सकती है।
कश्मीर में मंगलवार से 40 दिन का ‘चिल्लई कलां’ का दौर शुरू हो गया, इस दौरान क्षेत्र में कड़ाके की ठंड पड़ती है। वहीं, मौसम विभाग ने आने वाले कुछ दिनों में रात को और ठंड होने और न्यूनतम में गिरावट का अनुमान लगाया है। 22 से 25 दिसंबर के बीच हल्की से मध्यम बर्फबारी का भी पूर्वानुमान था।
विभाग ने बताया कि मौसम की मौजूदा स्थिति अगले 24 घंटों तक बनी रहेगी। 26-27 दिसंबर को काफी ज्यादा बर्फबारी की संभावना है। बुधवार को श्रीनगर में न्यूनतम तापमान शून्य से 1.8 नीचे था, जबकि पहलगाम में शून्य से 5.2 और गुलमर्ग में शून्य से 4.0 नीचे था। वहीं लद्दाख के द्रास शहर में न्यूनतम तापमान शून्य से 17.4, लेह में शून्य से 14.7 और कारगिल में शून्य से 11.3 नीचे दर्ज किया गया।
#WATCH | J&K: Mughal Road in Poonch closed for vehicular traffic movement following a snowfall in the region. Visuals from today. pic.twitter.com/hXGP3fuUf6
— ANI (@ANI) December 23, 2021
चिल्लई कलां’ वाली अवधि इस दौरान क्षेत्र में कड़ाके की ठंड पड़ती है और तापमान में भी गिरावट दर्ज की जाती है, जिससे यहां की प्रसिद्ध डल झील के साथ-साथ घाटी के कई हिस्सों में पानी की आपूर्ति लाइनों सहित जलाशय जम जाते हैं। इस दौरान अधिकतर इलाकों में बर्फबारी की संभावना भी सबसे अधिक रहती है, खासकर ऊंचाई वाले इलाकों में, भारी हिमपात होता है। ‘चिल्लई कलां’ के 31 जनवरी को खत्म होने के बाद, 20 दिन का ‘चिल्लई-खुर्द’ और फिर 10 दिन को ‘चिल्लई बच्चा’ का दौर शुरू होता है।