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मानहानि केस में राउज़ एवेन्यू कोर्ट से पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर को झटका लगा है. कोर्ट ने उनकी आपराधिक मानहानि की याचिका को खारिज़ कर दिया है. प्रिया रमानी को कोर्ट ने आपराधिक मानहानि का दोषी नहीं माना. बता दें कि साल 2018 में मीटू अभियान के दौरान पत्रकार प्रिया रमानी ( Priya Ramani) ने पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री एमजे अकबर (MJ Akbar) के खिलाफ शोषण का आरोप लगाया था. इस मामले को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने मानहानि का मुकदमा दायर किया था. फैसले के दौरान कोर्ट ने कहा कि इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि यौन शौषण अक्सर बंद दरवाज़ों के पीछे ही होता है. कोर्ट ने इस बात का संज्ञान लिया कि यौन शोषण की शिकायतें करने के लिए मैकेनिज़्म की कमी है.शोषण की शिकार अधिकतर महिलाएं कलंक लगने और चरित्रहनन के डर से अक्सर आवाज़ भी नहीं उठा पाती हैं.

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इससे पहले अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रविन्द्र कुमार ने अकबर  और रमानी की दलीलें पूरी होने के बाद मामले में फैसला एक फरवरी को सुरक्षित रख लिया था. बता दें कि रमानी ने ट्वीट कर कहा था कि जब 20 साल पहले अकबर एक अंग्रेजी अखबार के संपादक थे, तो वह नौकरी के साक्षात्कार के लिए मिलने गई थी. इस दौरान अकबर ने उनका शोषण किया. यह आरोप लगने के बाद अकबर ने 17 अक्टूबर 2018 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. अकबर ने 15 अक्टूबर, 2018 को रमानी के खिलाफ उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी. घटना के बाद अकबर ने 17 अक्टूबर, 2018 को केन्द्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.

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इससे पहले आखिरी सुनवाई के दौरान एम जे अकबर ने कोर्ट में कहा था कि पत्रकार प्रिया रमानी इन आरोपों को साबित करने में नाकाम रही हैं कि उन्होंने 20 साल पहले उनके साथ यौन दुराचार किया था. आखिरी चरण की सुनवाई के दौरान एजे अकबर ने वरिष्ठ अधिवक्ता गीता लूथरा के जरिये अतिरिक्त मुख्य मैट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवीन्द्र कुमार के सामने यह बात कही.  उव्होंने कहा था कि इसके (मुलाकात के) बारे में कुछ भी साबित नहीं किया गया है. आपको (रमानी) को यह साबित करना होगा. आपके द्वारा इसे सच कहने से यह सच साबित नहीं हो जाता. आपने आरोप साबित नहीं किये हैं. आपने टेलीफोन, कार पार्किंग और सीसीटीवी रिकॉर्ड नहीं दिखाए. उन्होंने कहा कि आपने एक झटके में, 50 साल की कड़ी मेहनत पर पानी फेर दिया.