प्रवासी भारतीय दिवस का कार्यक्रम केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं है, यह इंदौर और यहां की जनता का कार्यक्रम हैं।
पूरे आयोजन में इंदौर की जनता मेजबान बन गई है। घरों में ठहराने का जब विचार आया तो लगा, यह कैसे संभव होगा, लेकिन इंदौर वालों ने इसे साकार कर दिया। इंदौर वालों ने जो किया है, वह कोई नहीं कर सकता है। देश में पहले कहीं भी किसी आयोजन में होमस्टे नहीं हुआ। इंदौर से सभी प्रवासी मीठी यादें लेकर जाएं। भुला न पाओगे तुम हमें यूं ऐसी यादें आपके जेहन में हमेशा रहेगी।
ये बातें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आनंदा कालोनी में होमस्टे में रुके प्रवासी भारतीयों से मुलाकात के दौरान कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं प्रदेश का मामा तो था, देश में भी मामा बुलाने लगे, अब दुनियभर का मामा हो गया हूं। इस दौरान मुख्यमंत्री की पत्नी साधना सिंह, आइडीए अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा, संभागायुक्त डा. पवन कुमार शर्मा, कलेक्टर इलैया राजा टी सहित कालोनी के सभी मेजबान मौजूद थे।
होस्ट बन गए भाई
मुख्यमंत्री ने यूएस से आई रीना झंवर से उनके घर में रुकने के अनुभव सुने। झंवर ने बताया कि उनकी सहेली ने होमस्टे में जाने से बहुत मना किया था, लेकिन आज यहां आकर अभिभूत हूं। हमारे होस्ट अब हमारे भाई बन चुके हैं। जब भी हमारे होस्ट यूएस आएंगे, हमारे घर पर ही होमस्टे करेंगे। बहरीन से आए रमेश पाटीदार ने कहा कि हम मप्र देखने आए हैं, महाकाल देखने आए हैं। हमारे होस्ट अर्पितजी ने हमें सभी स्थानों की सैर करवा दी। यहां की सड़कें बहुत अच्छी हैं। होमस्टे के आइडिया ने दो देशों के बीच संबंध बनाने का काम किया है।
काश हमारे बच्चे भी यह संस्कार देख पाते
न्यूजीलैंड से आई सुमन कपूर का कहना है कि ऐसा सत्कार पहले कहीं नहीं देखा। हमारे भारत के अतिथि देवो भव: की पूरी परंपरा इंदौर में दिखाई दी। अनजान लोग आज परिवार का हिस्सा बन गए हैं। काश हमारे बच्चे भी हमारे साथ आते और यह संस्कार देख पाते। विदेशों में उन्हें यह संस्कार नहीं दिखाई देते। सच में हमारे बच्चों ने बहुत कुछ खो दिया।