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यूपी में कर्मचारियों की हड़ताल से बिजली आपूर्ति चरमरा गई है। लखनऊ, कानपुर, वाराणसी एवं मेरठ सहित कई शहरों में हड़ताल के पहले दिन ही भारी संकट उत्पन्न हो गया।

 

गोरखपुर एवं कानपुर में फैक्टरियों में औद्योगिक उत्पादन ठप हो गया। राजधानी लखनऊ का लगभग एक-चौथाई भाग बिजली संकट की चपेट में रहा। इस मामले में उच्च न्यायालय भी सख्त हो गया है। उसने कर्मचारी नेताओं को तलब किया है।

वहीं हड़ताल को लेकर सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। विद्युत आपूर्ति को बहाल करने में मदद नहीं करने वाले कई कर्मियों को बाहर किया गया। साथ ही एजेंसियों के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई। वहीं, ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने हड़ताली कर्मचारियों को चेताया है कि लाइन में फॉल्ट करने वालों को आकाश-पाताल से खोज निकालकर कड़ी कार्यवाही करेंगे। उन्होंने आपूर्ति को पूरे नियंत्रण में बताते हुए कहा कि राज्य में 4 हजार मेगावाट सरप्लस बिजली है। उधर, उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने कर्मचारी नेताओं को अवमानना नोटिस जारी किया है।

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विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे का दावा है कि हड़ताल के चलते उत्पादन निगम की 1030 मेगावाट क्षमता की 5 इकाइयां ठप हो गई हैं। राज्य में कुल 1850 मेगावाट उत्पादन प्रभावित हुआ है। समिति ने बिजलीकर्मियों पर तोड़फोड़ के आरोपों का सख्त प्रतिवाद करते हुए कहा कि बिजली कर्मी विद्युत संयंत्रों को अपनी मां की भांति मानते हैं तथा शांतिपूर्ण तरीके से हड़ताल कर रहे हैं। समिति पदाधिकारियों ने बताया कि पारेषण की कई लाईनें बंद हैं तथा बड़े स्तर पर 33/11 केवी उपकेंद्रों से आपूर्ति नहीं हो पा रही है। वही हड़ताली बिजली कर्मियों पर सख्ती दिखाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी में कहा कि अराजकता फैलाने वालों को सूचीबद्ध किया जाएगा। बिजली फीडर बंद करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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