असम के नगांव में अधिकारियों ने रविवार को कई परिवारों के घरों को ध्वस्त कर दिया। बताया जा रहा है कि ये कथित तौर पर जिले के एक पुलिस स्टेशन में आग लगाने में शामिल थे।
एक स्थानीय निवासी सफीकुल इस्लाम की हिरासत में मौत के एक कथित मामले के बाद सलोनाबोरी गांव के लगभग 40 लोगों की भीड़ ने शनिवार दोपहर ढिंग क्षेत्र में बटाद्रवा पुलिस स्टेशन के एक हिस्से में आग लगा दी थी।
नगांव जिला प्रशासन ने शनिवार को मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए और पुलिस ने बटाद्रवा स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को निलंबित कर दिया।
Assam | Nagaon District Administration demolished houses of five families who were allegedly involved in setting fire to Batadraba Police Station yesterday, May 21 pic.twitter.com/N0u9xMg0ZW
— ANI (@ANI) May 22, 2022
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि रविवार की सुबह बुलडोजर थाने से करीब छह किलोमीटर दूर गांव पहुंचे और उन लोगों के घरों को ध्वस्त कर दिया जो पुलिस थाने में आग लगाने में शामिल थे।
We take the unfortunate death of Safiqul Islam very seriously and have put the OC of Batadraba PS on suspension….If there is any foul play at our end, we mean to find that and punish the guilty according to the law: DGP Assam Bhaskar Jyoti Mahanta pic.twitter.com/67jsFHDXs9
— ANI (@ANI) May 22, 2022
असम के विशेष डीजीपी (कानून और व्यवस्था) जी पी सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि भीड़ में 40 लोग थे। हमने सात की पहचान की है और गिरफ्तार किया है, 15 को हिरासत में लिया गया है। हम हिरासत में मौत से जुड़े कथित मामले में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। मामले में एसआईटी बनेगी। लेकिन इस तरह के आरोप का मतलब यह नहीं है कि आप पुलिस थाने में आग लगा दें। आगजनी की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसमें शामिल अन्य लोगों की पहचान करने के लिए वीडियो फुटेज का विश्लेषण किया जा रहा है।
पुलिस की कार्रवाई के बाद बारपेटा के कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट किया कि हम पुलिस थाने पर हमले का कभी समर्थन नहीं करते। लेकिन पुलिस द्वारा हमलावरों के घरों पर बुलडोजर चलाना सीधे तौर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
ये है मामला
DGP भास्कर ज्योति महंत ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर विस्तार से बताया कि 39 वर्षीय सफीकुल इस्लाम को शराब के नशे में होने की शिकायत मिलने के बाद 20 मई को रात 9.30 बजे पुलिस थाने लाया गया था। वह वास्तव में थाने लाए जाने से पहले एक सड़क पर पड़ा हुआ था। चिकित्सकीय जांच के बाद उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। अगले दिन उसे रिहा कर दिया गया और उसकी पत्नी को सौंप दिया गया। उसकी पत्नी ने उसे कुछ पानी/भोजन भी दिया। बाद में उसने तबीयत बिगड़ने की शिकायत की और इसके बाद उसे एक के बाद एक दो अस्पतालों में ले जाया गया। दुर्भाग्य से, उसे मृत घोषित कर दिया गया। इसके बाद भीड़ ने यह आरोप लगाते हुए शनिवार दोपहर को थाने और कई दोपहिया वाहनों में आग लगा दी कि मछली व्यापारी की मौत पुलिस की प्रताड़ना के कारण हुई।