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प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में आज नारियल के एमएसपी पर फैसला हो सकता है। सरकार किसानों को कई बड़े तोहफे दे सकती है।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में आज नारियल के एमएसपी पर फैसला हो सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बैठक दोपहर 1 बजे होने की उम्मीद है। आपको बता दें कि नारियल उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में नंबर-1 है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद में नारियल का योगदान करीब 20000 करोड़ रुपए का है। एक करोड़ से अधिक लोग अपनी जीविका चलाने के लिए इस फसल पर निर्भर करते हैं।

नारियल के एमएसपी पर हो सकता है बड़ा फैसला

सूत्रों का कहना है कि नारियल के एमएसपी पर आज सरकार फैसला ले सकती है। बीते साल, केंद्र सरकार ने इसी समय नारियल का एमएसपी बढ़ाकर 375 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया था। देश के करीब 12 राज्यों में नारियल की खेती की जाती है।

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MSP बढ़ाने से करीब एक करोड़ लोगों को होगा फायदा

भारत में करीब 450 नारियल प्रोसेसिंग यूनिट। इनके जरिए हर साल करीब 242 करोड़ नारियल की प्रोसेसिंग होती है। देश में अब तक 9720 नारियल उत्पादक समितियां, 700 नारियल उत्पादक फेडरेशन है। इसके अलावा 61 नारियल उत्पादक कंपनियां गठित हुई हैं. कोपरा की एमएसपी बढ़ाए जाने से एक करोड़ से ज्यादा लोगों को इसका फायदा मिलता है। सरकार अनाज, दलहल, तिलहन समेत कई फसलों का MSP तय करती है. अनाज वाली फसलों की बात करें तो धान, गेहूं, बाजरा, मक्का, ज्वार, रागी, जौ का एमएसपी तय किया जता है।

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वहीं, दलहन फसलों में चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर का एमएसपी सरकार निर्धारित करती है. इसके अलावा तिलहन फसलों में मूंग, सोयाबीन, सरसों, सूरजमुखी, तिल, नाइजर या काला तिल, कुसुम के साथ-साथ नकदी फसल जैसे गन्ना, कपास, जूट, नारियल का एमएसपी भी सरकार ही तय करती है।

MSP के बारे में जान लीजिए

अगर आसान शब्दों में कहें तो MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस होता है। केंद्र सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है, इसे ही MSP कहते है। बाजार में अगर फसल के दाम कम भी हो जाते है, तो भी सरकार किसान को MSP के हिसाब से ही फसल का भुगतान करेगी। इससे किसानों को अपनी फसल की तय कीमत के बारे में पता चल जाता है कि उसकी फसल के दाम कितने चल रहे हैं। ये एक तरह फसल की कीमत की गारंटी होती है। फसलों की MSP कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट्स एंड प्राइसेस (CACP) तय करता है। आयोग समय के साथ खेती की लागत और बाकी पैमानों के आधार पर फसलों की कम से कम कीमत तय करके अपने सुझाव सरकार के पास भेजता है।