मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है। सोमवार को आप विधायकों ने दिल्ली एलजी पर अनावश्यक हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए मार्च किया।
मार्च उपराज्यपाल के आवास तक किया गया। सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में किए गए प्रोटेस्ट मार्च में आप ने उपराज्यपाल पर दिल्ली के स्कूली शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने की योजना में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया है।
जनता की सरकार में उपराज्यपाल का क्या काम…
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह दिल्ली के लोगों द्वारा चुनी गई सरकार है। यह दिल्ली के करदाताओं का पैसा है, दिल्ली के लोगों की शिक्षा के लिए। एलजी को क्या समस्या है? प्रोटेस्ट मार्च में केजरीवाल व अन्य विधायकों ने तख्तियां ले रखी थीं जिन पर लिखा था, “श्री एलजी, शिक्षकों को फिनलैंड जाने की अनुमति दें।” केजरीवाल ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप विधायकों को एलजी कार्यालय तक मार्च करना पड़ रहा है। मुझे उम्मीद है कि एलजी अपनी गलती देखेंगे और शिक्षकों को फिनलैंड में प्रशिक्षण की अनुमति देंगे।” उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 2018 के एक आदेश का जिक्र करते हुए यह भी आरोप लगाया कि दिल्ली के उपराज्यपाल स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकते।
तीन दिन के सत्र का पहला दिन हंगामा की भेंट चढ़ा
दिल्ली विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र बुलाया गया था। सोमवार को पहले दिन आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने विधानसभा में बच्चों की शिक्षा और शिक्षकों के प्रशिक्षण में अवैध बाधाओं और हस्तक्षेप का उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर आरोप लगाते हुए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा करानी शुरू कर दी। इसके बाद हंगामा शुरू हो गया। विपक्षी दलों और आप विधायकों में गहमागहमी शुरू हो गई। आप विधायक शिक्षकों की ट्रेनिंग के पक्ष में नारे लगा रहे थे। अरविंद केजरीवाल ने सक्सेना पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें अपनी सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। बता दें कि तीन दिनी सत्र के पहले दिन बार बार विधानसभा स्थगित होती रही। आलम यह कि पहला दिन महज दस मिनट ही कार्यवाही हो सकी।