English മലയാളം

Blog

Screenshot 2022-05-21 111011

ऑस्ट्रेलिया में आम चुनाव के लिए शनिवार को मतदान शुरू हो गया,जिसमें कंजर्वेटिव और लेबर पार्टी के बीच कांटे की टक्कर है।

प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन का कंजर्वेटिव गठबंधन अगर चुनाव जीतता है कि तो वह चौथी बार सत्ता में आएगा। हालांकि इन चुनावों में विपक्षी नेता एंथनी अल्बानीस की मध्य-वाम लेबर पार्टी के विजयी होने के कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन मॉरिसन ने 2019 में भी चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों को धता बताते हुए मामूली अंतर से जीत हासिल की थी।

 

देश के पूर्वी तट पर स्थानीय समयानुसार आठ बजे पहला मतदान केंद्र खुला। महामारी के कारण ऑस्ट्रेलिया के 1.7 करोड़ मतदाताओं में से 48 प्रतिशत से अधिक ने पहले ही मतदान कर दिया या डाक मतपत्रों के लिए आवेदन किया है। वयस्क नागरिकों के लिए मतदान अनिवार्य है और पिछले चुनावों में 92 प्रतिशत पंजीकृत मतदाताओं ने मतदान किया था। यात्रा या काम की वजहों से मतदान दो हफ्ते पहले शुरू हुआ था और ऑस्ट्रेलियाई निर्वाचन आयोग दो और हफ्तों के लिए डाक मतपत्र जमा करना जारी रखेगा। सरकार ने हाल में कोविड-19 से संक्रमित लोगों के फोन पर मतदान करने के लिए शुक्रवार को नियमों में बदलाव किया।

Also read:  सबसे पहले भारत को 'कोविशील्ड' की 4-5 करोड़ खुराक मिलेंगी, सीरम इंस्टीट्यूट ने बताया पूरा प्लान

ऑस्ट्रेलिया के निर्वाचन आयुक्त टॉम रोजर्स ने कहा कि योजना के अनुसार 7,000 से अधिक मतदान केंद्र बनाए गए हैं और 15 प्रतिशत मतदान कर्मी कोरोना वायरस और फ्लू के कारण बीमार पड़ गए हैं। अल्बानीस ने कहा कि उन्होंने सोचा था कि मॉरिसन गत सप्ताहांत चुनाव कराएंगे क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के मंगलवार को तोक्यो शिखर वार्ता में शामिल होने की उम्मीद है, जिसमें अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भाग लेंगे।

लेबर पार्टी ने चुनाव जीतने पर बच्चों तथा बुजुर्गों की देखभाल पर अधिक खर्च करने का वादा किया है। उसने महामारी के कारण ऑस्ट्रेलिया का घाटा बढ़ने पर बेहतर आर्थिक प्रबंधन का वादा किया है। वहीं, मॉरिसन ने कहा कि फिर से निर्वाचित होने पर उनकी सरकार करों में कमी लाएगी और साथ ही ब्याज दरों पर दबाव भी कम करेगी। ‘द ऑस्ट्रेलियन’ अखबार में शनिवार को प्रकाशित न्यूजपोल में 53 प्रतिशत मतदाताओं के समर्थन के साथ लेबर पार्टी को आगे दिखाया गया है।

Also read:  कृषि कानून: कल सड़क पर उतरेंगे राहुल गांधी, विजय चौक से राष्ट्रपति भवन तक करेंगे मार्च

सत्ता की चाबी भारतीय जनता के हाथ

ऑस्ट्रेलिया में सत्ता की चाबी भारतीय जनता के हाथ में है। वास्तव में, भारतीय समुदाय ऑस्ट्रेलिया में अंग्रेजों के बाद दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला समुदाय है।पूरे देश में भारतीय मूल के सात मिलियन से अधिक ऑस्ट्रेलियाई रहते हैं। इसलिए भारतीय मूल के ऑस्ट्रेलियाई किसी भी नेता और पार्टी का राजनीतिक भविष्य तय कर सकते हैं। इन दिनों मॉरिसन और अल्बानियाई वोट मांगने के लिए मंदिरों और गुरूद्वारों व अन्य धार्मिक स्थलों पर जा रहे हैं। अन्य दलों के उम्मीदवार भी वोट मांगने के लिए भारतीय समुदाय में घूम रहे हैं। दोनों प्रमुख दलों ने इस संघीय चुनाव में 100 से अधिक गैर-अंग्रेजी देशों के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।

Also read:  उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्ती घोटाले के मामले में बख्शा नहीं जाएगा : धामी

इनमें से एक तिहाई टिकट भारतीय मूल के उम्मीदवारों को आवंटित किए गए हैं। न्यू साउथ वेल्स और विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया के दो सबसे बड़े राज्यों में, भारतीय समुदाय की आबादी सबसे अधिक है। यहां दो लाख से ज्यादा भारतीय रहते हैं। न्यू साउथ वेल्स की राजधानी सिडनी के पश्चिमी हिस्से में दोनों पक्षों के बीच झड़प हो गई है। लिबरल पार्टी ने यहां ग्रीनवे सीट से प्रदीप पाठी को मैदान में उतारा है। लिबरल पार्टी ने भारतीय मूल के दोनों राज्यों परमेटा ग्रीनवे, लेलर, चिफल, होथम और मारिबुंग में भारतीय मूल के उम्मीदवार खड़े किए हैं।