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आबकारी मामले में सीबीआई की हिरासत में चल रहे दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई से इनकार करने के बाद सिसोदिया और मनी लॉन्ड्रिंग केस में पहले से सलाखों के पीछे चल रहे दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के इस्तीफे से उत्साहित दिल्ली भाजपा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की मांग को लेकर आज बुधवार को राजधानी की सड़कों पर उतरेगी।

 

दरअसल दिल्ली भाजपा सत्येंद्र जैन के इस्तीफे को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर खासा हमलावर है और उसका तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी मामले में सिसोदिया को राहत देने से इनकार किया लेकिन उसके बाद ऐसा क्या बदला कि सत्येंद्र जैन को इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा।

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समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार भाजपा के कई नेताओं का आरोप है कि है कि लंबे समय से जेल में बंद सत्येंद्र जैन से इस्तीफा न लेकर मुख्यमंत्री केजरीवाल पहले ही नैतिक साख खो चुके हैं और अब जब मनीष सिसोदिया भी जेल में चले गये तो उन्हें सलाखों के पीछे वीआईपी आनंद लेने वाले सत्येंद्र जैन के इस्तीफे का ख्याल आया है।

दिल्ली भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “भले ही ‘आप’ बेशर्म तर्क दे कि सिसोदिया और जैन के इस्तीफे के पीछे प्रशासनिक मजबूरी थी, लेकिन इसके जड़ में उनकी अपराध स्वीकृति है, जो अब आप के अंत को चिह्नित कर रही है। भाजपा का एकमात्र लक्ष्य केजरीवाल को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले प्रभावी ढंग से कटघरे में खड़ा करने का है।”

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पार्टी सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली भाजपा अब राजधानी को वोटरों के बीच सीएम केजरीवाल की छवि को “प्रशासनिक जिम्मेदारियों से बचने वाले नेता” के तौर पर पेश करने की है ताकि वो मुख्यमंत्री पद की गरिमा को समझे और विभागीय विभागों को संभालने के लिएआगे आएं।

आप पार्टी की काली करतूतों को जनता के सामने लाने के लिए प्रदेश भाजपा बुधवार को राजधानी के सभी प्रमुख चौराहों पर “आबकारी नीति घोटाले” को लेकर “जन जागरूकता कार्यक्रम” शुरू करेगी और मामले को ज्यादा से ज्यादा लोगों के पास ले जाने का प्रयास करेगी।

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भाजपा सूत्रों का कहना है कि मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन द्वारा मंत्री पद छोड़े जाने के बाद बनने वाले मंत्रियों से केजरीवाल को कोई खास मदद नहीं मिलेगा क्योंकि आप में अब मंत्री पद के लिए विधायकों के बीच असंतोष भी पैदा होगा। भाजपा नेताओं को आसार है कि अब अरविंद केजरीवाल के सामने दिल्ली में खुद को बचाने या फिर अन्य राज्यों में पार्टी के विस्तार के बीच किसी एक का चयन करना होगा और अगर ऐसा होता है तो जाहिर सी बात है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली में स्वयं को बचाने के लिए कार्य करेंगे।