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बिहार में नए मंत्रीमंडल के गठन के साथ ही विवाद भी बढ़ते जा रहे हैं। अब प्रदेश के नए कानून मंत्री के खिलाफ ही कोर्ट ने वारंट जारी किया है। आरजेडी के कार्तिक सिंह २०१४ के अपहरण के एक मामले में आरोपी हैं।

 

अग्रिम जमानत पर सुनवाई के संबंध में उनको दानापुर कोर्ट में पेश होना था, लेकिन वह मंत्रीपद की शपथ ग्रहण करने चले गए। गजब तो यह कि कार्तिक कोर्ट की नजर में फरार भी चल रहे हैं। १२ अगस्त को कोर्ट के एक और आदेश के अनुसार मंत्री कार्तिक के खिलाफ एक सितंबर तक कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। उधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले में किसी भी तरह की जानकारी होने से इनकार किया है।

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फिर गरमाई बिहार की सियासत

मामले में सीएम नीतीश कुमार के बयान के बाद प्रदेश की सियासत फिर गरमा गई है। बीजेपी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने सीएम नीतीश को घेरते हुए कहा कि उनके जानते-बूझते यह सब हुआ है। नए मंत्रीमंडल में बाहुबलियों की भरमार कर नीतीश कुमार ने प्रदेश में जंगलराज की वापसी आसान कर दी है।

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वहीं, कानून मंत्री कार्तिक ने अपनी सफाई में कहा कि उन्होंने हलफनामे में सबकुछ बता दिया था। जनता से कुछ भी नहीं छिपाया, वह बेकसूर हैं। जानकारी के अनुसार नई सरकार के गठने के बाद पहली बार बुधवार की शाम लालू यादव भी पटना पहुंच रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि सियासत का पारा अभी और चढ़ेगा।

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२०१४ में हुए अपहरण के मामले में आरोपी

बिहार के नए कानून मंत्री और विधान परिषद सदस्य कार्तिक सिंह पूर्व विधायक और बाहुबली अनंत सिंह के करीबी भी माने जाते हैं। आरोप है कि २०१४ में अनंत सिंह के साथ कार्तिक व अन्य लोग बिहटा में राजू सिंह का अपहरण करने गए थे। उसी मामले में एफआईआर भी दर्ज की गई थी। इसी मामले में कार्तिक सिंह के खिलाफ वारंट जारी हुआ था।