English മലയാളം

Blog

नई दिल्ली: 

किसान बिल (Farmers Bills) पर किसानों के आंदोलन के देखते हुए केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने पंजाब के किसानों संग कृषि सचिव की एक बैठक बुलाई थी लेकिन इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद नहीं थे. इससे नाराज किसानों ने मंत्रालय में ही हंगामा करना शुरू कर दिया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. किसानों ने बिल की कॉपी भी फाड़ डाली. मंत्रालय से बाहर निकले किसानों ने कहा कि वो अपना आंदोलन जारी रखेंगे. बैठक बेनतीजा रही.

Also read:  दिल्लीवालों के लिए लगातार काम कर रही केजरीवाल सरकार ने मजदूरों का न्यूनतम वेतन बढ़ाया- मनीष सिसोदिया

पंजाब में किसानों के आंदोलन को देखते हुए सरकार ने नए कानून के प्रावधानों पर बातचीत के लिए किसानों के प्रतिनिधिमंडल को दिल्ली बातचीत के लिए बुलाया था. किसानों ने आरोप लगाया है कि सरकार पंजाब में नेताओं को फोन कर किसानों के खिलाफ भड़का रही है. बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले महीने संसद के दोनों सदनों से भारी विरोध के बीच तीन कृषि बिल पारित कराए हैं.

Also read:  Toolkit Case: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट आज दोपहर दो बजे दिशा रवि की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 27 सितंबर को तीनों कृषि विधेयकों को मंजूरी दी, जिनके चलते इस समय एक राजनीतिक विवाद खड़ा हुआ है और खासतौर से पंजाब और हरियाणा के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं  गजट अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रपति ने तीन विधेयकों को मंजूरी दी. ये विधेयक हैं- 1) किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, 2) किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और 3) आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020.

Also read:  नितीश राणा पर 12 लाख का जुर्माना, तय समय पर पूरे नहीं किए खामियाजा

किसानों का आरोप है कि सरकार नए कानून की आड़ में उनसे न्यूनतम समर्थम मूल्य (Minimum Support Price) बंद करना चाहती है और केंद्रीय खरीद एजेंसियों द्वारा होने वाली फसल खरीद को भी बंद करना चाहती है. किसानों का आरोप है कि अगर ऐसा हुआ तो किसान कॉरपोरेट के हाथों की कठपुतली बन जाएंगे और साथ अपने ही खेतों में बंधुआ मजदूर बन जाएंगे.