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रूस से तेल खरीदने को लेकर पश्चिमी मीडिया ने एक बार फिर भारत पर की व्यापार नीति पर सवाल उठाए हैं। हालांकि भारत ने इस व्यापार को लेकर अपनी नीति को स्पष्ट करते हुए इसका करारा जबाव दिया है।

दरअसल सीएनएन की एंकर बेकी एंडरसन ने रूस से तेल खरीदे जाने को लेकर केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पूरी से सवाल किया कि रूस से तेल खरीदे जाने पर पश्चिमी देश अपने प्रतिबंध के ऐलान को अमलीजामा पहनाने के लिए और कड़ा दबाव बनाते हैं तो भारत के पास विकल्प क्या हैं? इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि हमारी सरकार के पास अन्य विकल्प मौजूद हैं। आप लोग जिस नजरिए से इसे देख रहे हैं, भारत की सोच वैसी नहीं है। भारत कोई दबाव महसूस नहीं करेगा। मोदी सरकार किसी दबाव में नहीं आती है।

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सीएनएन ने सवाल किया कि रूस से इतनी बड़ी मात्रा में तेल खरीदने के बाद भारत को कोई पछतावा तो नहीं हो रहा है। इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कतई नहीं, कोई नैतिक द्वंद्व नहीं है। एक्स और वाई से तेल खरीदने को लेकर कोई अपना एक वैचारिक नजरिया बना सकता है लेकिन हम तो तेल वहीं से खरीदते हैं जहां इसकी उपलब्धता रहती है। हरदीप सिंह पूरी ने कहा कि भारत तेल नहीं खरीदता ये काम तेल कंपनियां करती हैं।

हरदीप पुरी ने कहा कि अगर यूरोप और अमेरिका की खपत से तुलना की जाए तो भारत रूसी तेल का केवल 0.2 प्रतिशत ही खरीदता है जो बहुत खास नहीं है। उन्‍होंने भारत की स्थिति को साफ करते हुए एंकर से कहा कि मैं आपके दृष्टिकोण को ठीक करना चाहूंगा। हमने 31 मार्च 2022 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष में रूस से 0.2 प्रतिशत तेल खरीदा है जो दो प्रतिशत भी नहीं है। यूरोप जितना एक दोपहर में तेल रूस से खरीदता है, उसका केवल एक तिहाई ही हमने रूस से खरीदा है।

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भारतीय मंत्री ने यह भी कहा कि हमने पिछले महीने सबसे ज्यादा तेल इराक से खरीदा है। हरदीप पुरी ने साफ कर दिया कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदता रहेगा। भारत ने एक बार फिर से अपनी स्थिति को साफ करके पुरानी गलती को दोहराने से बचा लिया है। हरदीप पुरी ने अमेरिकी टीवी एंकर को यूरोप के आंकड़ों का उदाहरण देकर ऐसा करारा जवाब दिया कि सोशल मीडिया पर उनकी जमकर तारीफ हो रही है। वहीं कई विशेषज्ञ भारत को ईरान वाली गलती नहीं दोहराने की सलाह दे रहे हैं। रूस से तेल खरीदने का मुद्दा भारत और अमेरिका के बीच यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से ही तनाव का मुद्दा बना हुआ है। भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर के करारे जवाब के बाद पिछले दिनों यह मुद्दा ठंडे बस्‍ते में चला गया था लेकिन अब एक यह बार फिर से गरमा गया है।