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केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021 लोकसभा में पेश किया। स्मृति ईरानी ने कहा कि एक लोकतंत्र में विवाह के लिए महिलाओं और पुरुषों को समान अधिकार उपलब्ध कराने में 75 साल की देरी हुई है। वहीं, विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लेकर सरकार पर जल्दबाजी करने का आरोप लगाया।

लड़कियों के विवाह की आयु 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रावधान करने वाले इस संशोधन विधेयक को पेश करते हुए स्मृति ईरानी ने कहा, ‘एक लोकतंत्र में, महिलाओं और पुरुषों को विवाह का समान अधिकार देने में हमने 75 साल की देरी की है। इस संशोधन के जरिए पहली बार लड़के और लड़कियां दोनों ही 21 साल की आयु में समानता के अधिकार को ध्यान में रखते हुए अपने विवाह को लेकर निर्णय लेने में सक्षम हो पाएंगे।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस विधेयक पर कहा कि हम सरकार को सलाह देना चाहते हैं कि जब काम जल्दी में किया जाता है तो गलतियां होती हैं। इस मामले पर देश में अभी विचार-विमर्श चल रहा है। केंद्र सरकार ने इस मामले को लेकर न तो किसी हिस्सेदार से बात की है और न ही किसी राज्य से सलाह ली है। चौधरी ने कहा कि हम मांग करते हैं कि इस संशोधन विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया जाए।

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अल्पसंख्यक समुदाय ने किया है विधेयक का विरोध: टीएमसी
वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद सौगत राय ने आरोप लगाया कि यह विधेयक आपाधापी में लाया गया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह जल्दबाजी में सरकार यह विधेयक लेकर आई है, मैं उसका विरोध करता हूं। इस विधेयक पर सभी हिस्सेदारों को साथ लेकर ठीक तरह से विचार-विमर्श किए जाने की जरूरत है। टीएमसी सांसद ने आगे कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय ने इस संशोधन विधेयक के प्रति सख्त विरोध जताया है।