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केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री मंत्री नितिन गडकरी ने आज यानी सोमवार को कहा कि एक अप्रैल के बाद से पंद्रह साल से पुराने 9 लाख सरकारी वाहनों को सड़कों पर से हटा दिया जाएगा।

 

इनके स्थान पर नए वाहन लगाए जाएंगे। ये वाहन केंद्रीय और राज्य सरकारों, परिवहन निगमों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में लगे हुए हैं। उद्योग निकाय FICCI द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि सरकार इथेनॉल, मेथनॉल, बायो-सीएनजी, बायो-एलएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए कई कदम उठा रही है।

गडकरी ने अब नौ लाख से अधिक सरकारी वाहनों को स्क्रैप करने की मंजूरी दे दी है, जो 15 साल से अधिक पुराने हैं। जानकारी के अनुसार प्रदूषण फैलाने वाली बसें और कारें सड़क से हटा दी जाएंगी और इनकी जगह वैकल्पिक ईंधन वाले नए वाहन लेंगे। बता दें,यह नियम देश की रक्षा के लिए अभियान में, कानून व्यवस्था लागू करने और आंतरिक सुरक्षा के लिए उपयोग किए जाने वाले विशेष उद्देश्य के वाहनों पर लागू नहीं होगा।

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सरकारी वाहनों को स्क्रैप करने की मिली मंजूरी

इसमें रजिस्टर्ड वाहन कबाड़ इकाई द्वारा ऐसे वाहनों को उनके पंजीकरण के दिन से 15 साल बाद मोटर वाहन (वाहनों के पंजीकरण और क्रियान्वयन कबाड़ इकाई) नियम, 2021 के अंतर्गत डिस्पोज किया जाएगा। पिछले साल गडकरी ने कहा था कि वह प्रत्येक शहर के केंद्र से 150 किलोमीटर के भीतर कम से कम एक ऑटोमोबाइल स्क्रैपिंग सुविधा विकसित करना चाहते हैं।

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2021 में पीएम मोदी स्क्रैपेज नीति की शुरुआत की थी

उन्होंने ये भी दावा किया था कि देश में पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र का वाहन स्क्रैपिंग हब बनने की क्षमता है। साल 2021 में पीएम मोदी ने राष्ट्रीय वाहन स्क्रैपेज नीति की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा कि इससे अनफिट और प्रदूषण फैला रहे वाहनों को हटाने में मदद मिलेगी.इससे अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।

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परिवहन क्षेत्र को डीकार्बोनाइज करने की आवश्यकता-गडकरी

गडकरी ने कहा कि 2070 तक नेट जीरो हासिल करने का भारत का लक्ष्य बहुत हद तक हासिल किया जा सकता है, और अगर देश परिवहन के लिए रणनीतिक और व्यवस्थित दृष्टिकोण का पालन करता है। उन्होंने जोर दिया कि परिवहन क्षेत्र को डीकार्बोनाइज करने की तत्काल आवश्यकता है। मंत्री ने कहा कि समय की मांग है कि सभी विश्व स्तरीय सुख-सुविधाओं के साथ इलेक्ट्रिक मोड पर अधिक बसें हों क्योंकि यह अधिक से अधिक लोगों को सार्वजनिक परिवहन की ओर आकर्षित करेगी और निजी वाहनों के उपयोग को हतोत्साहित करेगी।