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40 से अधिक वर्षों तक भारतीय सेना में सेवा देने और 28 महीने तक अपनी अंतिम भूमिका में रहने के बाद, थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे शनिवार को सेवानिवृत्त हो गए।

 

सेना प्रमुख के रूप में अपनी भूमिका में, नरवणे ने वर्तमान और उभरती सभी चुनौतियों का सामना करने और उत्तरी और उत्तरपूर्वी सीमाओं पर जोर देने के साथ आवश्यक क्षमता और बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए परिचालन तत्परता के उच्चतम मानक को सुनिश्चित किया है।

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एमएम नरवणे ने शनिवार को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पुष्प अर्पित किया और अपना पद छोड़ने से पहले साउथ ब्लॉक के लॉन में गार्ड ऑफ ऑनर प्राप्त किया।

आपको बता दें कि जनरल एमएम नरवणे का जन्म 22 अप्रैल, 1960 को पुणे में हुआ था और वह भारतीय वायु सेना में एक पूर्व अधिकारी के बेटे हैं। वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, पुणे और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं। उनके पास रक्षा अध्ययन में एम.फिल की डिग्री भी है।

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जम्मू -कश्मीर और पूर्वोत्तर में नरवणे ने शांति, क्षेत्र और आतंकवाद विरोधी वातावरण में कमांड और स्टाफ पदों पर कार्य किया है। इसके अलावा, उन्होंने जम्मू और कश्मीर में एक राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन और पूर्वी मोर्चे पर पैदल सेना ब्रिगेड (infantry brigade) की कमान संभाली।

आपको बता दें कि एमएम नरवणे के रिटायर होने के के साथ मनोज पांडेय थल सेनाध्यक्ष बनेंगे। मनोज कुमार पांडे भारतीय सेना के नये प्रमुख होंगे जो एमएम नरवणें के बाद थल सेना प्रमुख के रूप में पदग्रहण करेंगे। इससे पहले मजाज कुमार पांडेय थल सेना की पूर्वी कमान की अगुवाई कर रहे थे। वह पिछले तीन महीनों में भारतीय सेना में कुछ शीर्ष अधिकारियों की सेवानिवृत्ति के बाद सबसे वरिष्ठ हैं और उन्होंने पूर्वी कमान पहले भी संभाली है। वहीं एमएम नरवणे का नाम चीफ आफ़ डिफेंस स्टाफ (CDS ) पद के लिए सबसे आगे है।

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