English മലയാളം

Blog

Screenshot 2022-07-21 184317

देश के 15वें राष्ट्रपति के नाम का इंतजार अब से कुछ देर में खत्म हो जाएगा। द्रौपदी मुर्मू के जीतने के साथ ही उनके नाम पांच रिकॉर्ड भी हो जाएंगे। द्रौपदी मुर्मू देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली पहली आदिवासी महिला होंगी।

 

देश में अब तक कोई भी आदिवासी न तो प्रधानमंत्री और न ही कोई राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचा है। हालांकि देश को केआर नारायणन और रामनाथ कोविंद के रूप में दो दलित राष्ट्रपति मिल चुके हैं। एनडीए उम्मीदवार मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले में संथाल समुदाय के गरीब आदिवासी परिवार में हुआ है।

Also read:  शूटर दादी के नाम पर बनी शूटिंग रेज का हुआ उद्घाटन

द्रौपदी मुर्मू के नाम सबसे युवा राष्ट्रपति बनने का खिताब भी हो जाएगा। अभी तक देश में सबसे कम उम्र में राष्ट्रपति बनने का रिकॉर्ड डॉ. नीलम संजीव रेड्डी के नाम है, जो 1977 में निर्विरोध राष्ट्रपति बने थे। राष्ट्रपति पद संभालते वक्त रेड्डी की उम्र 64 साल, दो महीने और छह दिन थी। वहीं, 20 जून 1958 को जन्मी द्रौपदी मुर्मू की उम्र 25 जुलाई 2022 को पद संभालने के समय 64 साल, एक महीना और आठ दिन होगी।

मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से ऐसा पहली बार होगा, जब देश में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की कुर्सी काबिज लोगों का जन्म आजाद भारत में हुआ है। मुर्मू पहली राष्ट्रपति होंगी जो आजादी के बाद देश में पैदा हुईं। देश को आजादी मिलने के करीब 11 साल बाद द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को हुआ। देश में अब तक जितने भी राष्ट्रपति हुए हैं, वे सब 1947 से पहले पैदा हुए थे। वहीं द्रौपदी मुर्मू की जीत के साथ ही ओडिशा का नाम भी उन राज्यों में शामिल हो जाएगा, जहां के लोग देश में सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचे हैं। अब तक राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठे लोगों में से सात दक्षिण भारत के रहे हैं।

Also read:  गृहमंत्री अमित शाह बोले - कोरोनावायरस पर नियंत्रण पाते ही CAA पर बढ़ाएंगे कदम

देश में यह भी पहली बार ही होगा कि कोई पार्षद रह चुका कोई व्यक्ति भारत में राष्ट्रपति पद तक पहुंचेगा। द्रौपदी मुर्मू ने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत का पार्षद बनने के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। 2000 में वह पहली बार विधायक बनीं। उन्होंने ओडिशा की बीजद-भाजपा सरकार में दो बार मंत्री पद भी संभाला है।

Also read:  Pangong Lake Standoff: लद्दाख में पैंगोंग लेक के दोनों छोरों से भारत और चीन की सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी हुई : सूत्र