English മലയാളം

Blog

Screenshot 2022-07-28 125846

पूरी दुनिया के मौसम और जलवायु में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अब समय आ गया है जब हम सबको पूरी गंभीरता और जवाबदेही के साथ प्रकृति के संरक्षण के बारे में सोचना होगा।

28 जुलाई को दुनिया भर में मनाया जाने वाला विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस एक महत्वपूर्ण दिन है जो हमें हमारे जीवन में प्रकृति के महत्व की याद दिलाता है और इसे संरक्षित करने के लिए प्रोत्साहित करता है। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस (वर्ल्ड नेचर कंजर्वेशन डे) प्राकृतिक संसाधनों के महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। तकनीकी विकास और आधुनिक जीवन शैली की वजह से पर्यावरण में असंतुलन बना हुआ है। देश और दुनिया में प्राकृतिक आपदाओं का आना इसी का संकेत है।

Also read:  Dubai: बैंक ने अपर्याप्त एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग सिस्टम के लिए Dh11.1 मिलियन का जुर्माना लगाया

 

एशिया के साथ-साथ पहली बार यूरोप भीषण गर्मी का प्रकोप झेल रहा है। फ्रांस, स्पेन और ब्रिटेन में गर्मी की वजह से हाहाकार मचा हुआ है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार यूरोप में चल रही हीटवेव विशेष रूप से दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रों में अफ्रीका से आने वाली गर्म हवाओं के कारण हो रही है और इस गर्मी में इस तरह की और अधिक हीटवेव की आशंका है। विशेषज्ञों के अनुसार जलवायु परिवर्तन इस हीटवेव की मुख्य वजह है। वहीं ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (जीएचजी), जो कोयले, गैस और तेल जैसे जीवाश्म ईंधन को जलाने से आता है, वह हीटवेव को अधिक गर्म और खतरनाक बना रहा है।

Also read:  छह साल में 1500 से ज्यादा युवा उग्रवादी संगठनों में शामिल, 6000 ने किया सरेंडर- हिमंत बिस्वा सरमा

 

पिछले दिनों आश्चर्जनक रूप से पृथ्वी के दो सिरे कहे जाने वाले दक्षिणी ध्रुव और उत्तरी ध्रुव में तापमान में अचानक ऐसा उछाल आया कि सारे रिकॉर्ड टूट गए. अंटार्कटिक और आर्कटिक दोनों ही जगह तापमान में एकसाथ और अचानक रिकॉर्ड वृद्धि हुई।

Also read:  एनसीपी में बड़ी फूट, अजित पवार एकनाथ शिंदे को दिया समर्थन, उप मुख्यमंत्री की शपत ली,

ये सब धरती के तापमान में असंतुलन और जलवायु परिवर्तन की वजह से हो रहा है। बड़े पैमाने पर ग्लेशियर्स का पिघलना और यूरोप में हीट वेव बहुत बड़े वैश्विक खतरे की आहट है, जिसको अनदेखा नहीं किया जा सकता है. कथित विकास के बारे में पुनर्विचार कर हमें प्रकृति के संरक्षण को लेकर गंभीर होना ही होगा।