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महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार गिरने और भाजपा के समर्थन से एकनाथ शिंदे के सीएम बनने के बाद भी शिवसेना में मचा भूचाल फिलहाल थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है।

 

चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे से कहा है कि वो दोनों लिखित तौर पर इस बात के सबूत पेश करें कि शिवसेना में बहुमत की संख्या किसके पास है। दोनों गुटों से 8 अगस्त की दोपहर 1 बजे तक जवाब देने के लिए कहा गया है, जिसके बाद चुनाव आयोग शिवसेना के दोनों गुटों के दावों और विवादों को लेकर सुनवाई करेगा।

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आपको बता दें कि उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट ने चुनाव आयोग के सामने शिवसेना पर अपने-अपने दावे जताए हैं, जिसके बाद चुनाव आयोग ने यह कदम उठाया। उद्धव ठाकरे खेमे से अनिल देसाई ने इससे पहले कई बार चुनाव आयोग को पत्र लिखकर दावा किया था कि पार्टी के कुछ सदस्य पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। अनिल देसाई ने शिंदे गुट द्वारा ‘शिवसेना’ या ‘बाला साहेब’ के नाम का इस्तेमाल करके किसी भी राजनीतिक दल का गठन करने पर भी आपत्ति जताई थी।

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शिंदे गुट ने अपनी दलील में चुनाव आयोग को क्या बताया

इसके बाद अनिल देसाई ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर यह भी मांग की, कि एकनाथ शिंदे, गुलाबराव पाटिल, तानजी सावंत और उदय सामंत को पार्टी में उनके पद से हटाया जाए। वहीं, एकनाथ शिंदे गुट की तरफ से ‘चुनाव चिन्ह आदेश 1968 के पैरा 15’ के तहत याचिका दाखिल कर मांग की गई है कि शिंदे के नेतृत्व वाले दल को शिवसेना के तौर पर मान्यता दी जाए और साथ ही उन्हें धनुष-बाण का निशान भी दिया जाए। एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग को यह भी बताया कि शिवसेना के 55 विधायकों में से 40 विधायक, कई एमएलसी और 18 में 12 सांसदों का समर्थन उनके साथ है।

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