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गोवा बीजेपी के नवनिर्वाचित विधायक विश्वजीत राणे ने सीएम प्रमोद सावंत को अपना नेता मानने से इनकार कर दिया है।

गोवा विधानसभा चुनाव के नतीजे में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आयी है तो वहीं अब सरकार बनाने में अंदरूनी खिंचातानी शुरू हो गई है। गोवा बीजेपी के नवनिर्वाचित विधायक विश्वजीत राणे ने सीएम प्रमोद सावंत को अपना नेता मानने से इनकार कर दिया है। राणे परिवार की ओर से लगातार दूसरे दिन स्थानिक अखबारों में दिए विज्ञापन में सीएम प्रमोद सावंत की तस्वीर गायब रही।

इस विज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गोवा चुनाव प्रभारी देवेंद्र फडणवीस और गोवा के प्रभारी सिटी रवि के साथ प्रदेश अध्यक्ष सदानंद सेठ की तस्वीर देखने को मिली लेकिन जिनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया उनकी तस्वीर (प्रमोद सावंत) की गायब रही। बता दें, वालपाई विधानसभा से विश्वजीत राणे ने जीत हासिल की है। आज उन्होंने विज्ञापन के जरिए जनता का धन्यवाद किया है।

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दिव्या राणे के भी विज्ञापन में नहीं थी प्रमोद सावंत की तस्वीर

बता दें कि राज्य में 16 मार्च की विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। लेकिन अब तक सीएम के नाम का ऐलान नहीं हुआ है। वहीं बीते शनिवार बीजेपी के विधायक विश्वजीत राणे अचानक राज्यपाल से मिलने पहुंच गए। विश्वजीत राणे की पत्नी दिव्या राणे जो बीजेपी में ही हैं और परवेम विधानसभा सीट से जीती हैं। दिव्या ने रविवार को गोवा के मराठी भाषी अखबार लोकमत में पूरे पेज का विज्ञापन छपवाया है। जिसमें से प्रमोद सावंत का चेहरा ही गायब है और उस पोस्टर में लिखा है।

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‘गोवा के इतिहास में ऐसा कभी नहीं, गोवा राज्य की स्थापना से लेकर अब तक ऐसा नहीं हुआ कि कोई उम्मीदवार किसी भी पार्टी का 13 हजार 943 वोट के अंतर से जीत दर्ज करे। परवेम से बीजेपी उम्मीदवार दिव्य विश्वजीत राणे ने ये कीर्तिमान हासिल किया है, महिला शक्ति का उदय हुआ है।’

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क्या केंद्रीय नेतृत्व भी उलझन में है?

ऐसे में गोवा में सस्पेंस बना हुआ है। अब सवाल है कि क्या केंद्रीय नेतृत्व भी उलझन में है? क्या सिर्फ तारीख को लेकर सस्पेंस है? क्या सिर्फ समर्थन लेने पर फैसला नहीं हुआ है? या गोवा में सीएम बदलने की आहट है?