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आईआईटी रुड़की के लिए मानविकी और सामाजिक विज्ञान, भौतिक, बायोटेक्नोलॉजी, आर्किटेक्चर, गणित, इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ-साथ इलेक्ट्रिकल विभाग की तरफ से यह पाठ्यक्रम तैयार किया गया है।

आईआईटी रुड़की के छात्र अब साइंस और टेक्नोलॉजी के साथ-साथ संस्कृत (Sanskrit) की भी पढ़ाई करेंगे। संस्थान की तरफ से नए सत्र से संस्कृत आधारित ज्ञान प्रणालियों के परिचय विषय पर एक सेमेस्टर का पाठ्यक्रम शुरू होने जा रहा है। आईआईटी रुड़की (IIT Roorkee) के डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रोफेसर अपूर्बा कुमार शर्मा ने बताया कि बीटेक के छात्रों के लिए यह वैकल्पिक पाठ्यक्रम है। 42 लेक्चर का यह पाठ्यक्रम तीन क्रेडिट का होगा।

संस्कृत को दुनिया की प्राचीन भाषा होने के साथ ही सभी भारतीय भाषाओं की जननी कही जाती है। साथ ही संस्कृत पूरी तरफ वैज्ञानिक और सक्षम भाषा भी मानी गई है। इसलिए छात्रों में संस्कृत भाषा के लिए रुचि जगाने के लिए आईआईटी रुड़की पाठ्यक्रम शुरू करने जा रहा है। संस्थान के लिए मानविकी और सामाजिक विज्ञान, भौतिक, बायोटेक्नोलॉजी, आर्किटेक्चर, गणित, इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ-साथ इलेक्ट्रिकल विभाग की तरफ से यह पाठ्यक्रम तैयार किया गया है।

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अंग्रेजी में भी होगा पाठ्यक्रम

आईआईटी रुड़की के संस्कृत क्लब के कोऑर्डिनेटर डॉ. अनिल कुमार गौरीशेट्टी का कहना है कि यह पाठ्यक्रम शुरू करने का उद्देश्य छात्रों के संस्कृत आधारित ज्ञान प्रणाली के साथ-साथ साइंस और टेक्नोलॉजी की उन्नती में संस्कृत भाषा की भूमिका से परिचित कराना है। इसमें भारतीय ज्ञान प्रणालियों का स्त्रोत, संस्कृत का बुनियादी परिचय, संस्कृत में कैसे बातचीत की जाती है जैसी जानकारियां दी जाएंगी। उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम पूरी तरह संस्कृत में न होकर अंग्रेजी में भी होगा और उसका अनुवाद किया जाएगा।

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पाठ्यक्रम को तैयार करने में इनका लिया गया सहयोग

डॉ. अनिल कुमार गौरीशेट्टी ने कहा कि छात्रों की तरफ से भी इस तरह के पाठ्यक्रम की मांग की जा रही थी। उन्होंने बताया कि अभी तक समर इंटर्नशिप में इस तरह के पाठ्यक्रम के लिए छात्रों को देश के अन्य संस्थानों में जाना पड़ता था।लेकिन नए सत्र से इच्छुक छात्र संस्थान में ही इसमें एडमिशन ले सकेंगे. उन्होंने बताया कि इस पाठ्यक्रम को तैयार करने में संस्कृत भारती, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, संस्कृत विश्वविद्यालय आदि के विद्वानों से संपर्क कर उनका सहयोग लिया गया. साथी ही संस्कृत की पुस्तकों और ग्रंथों आदि का अध्ययन भी किया गया. संस्थान के 6 विभागों के प्रोफेसर यह पाठ्यक्रम पढ़ाएंगे. पाठ्यक्रम के कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर राम मनोहर सिंह ने बताया कि इस पाठ्यक्रम में कुल 42 लेक्चर होंगे और यह 3 क्रेडिट का होगा.