English മലയാളം

Blog

Screenshot 2022-01-21 160105

शीर्ष अदालत मद्रास हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसे दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 401 के तहत अपने पुनरीक्षण अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करते हुए प्रथम अपीलीय न्यायालय द्वारा पारित बरी करने के आदेश को रद्द कर आरोपी को दोषी ठहराया था।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट अपनी पुनरीक्षण शक्ति के तहत किसी आरोपी को बरी किए जाने के निष्कर्ष को दोषसिद्धि में नहीं बदल सकता।

Also read:  क्या अखिलेश यादव 11 मार्च को जाएंगे लंदन, टिकट हो रहा वायरल

न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट को यह जांच करने की शक्ति है कि क्या कानून या प्रक्रिया आदि की स्पष्ट त्रुटि है, हालांकि, अपने स्वयं के निष्कर्ष देने के बाद, उसे मामले को निचली अदालत में और/या प्रथम अपीलीय न्यायालय में भेजना होगा।

पीठ ने कहा, “यदि निचली अदालत द्वारा बरी करने का आदेश पारित किया गया है, तो हाईकोर्ट मामले को निचली अदालत को भेज सकता है और यहां तक कि फिर से सुनवाई के लिए भी कह सकता है। हालांकि, अगर बरी करने का आदेश प्रथम अपीलीय अदालत द्वारा पारित किया जाता है, तो उस मामले में, हाईकोर्ट के पास दो विकल्प उपलब्ध हैं।पहला विकल्प यह है कि अपील पर फिर सुनवाई के लिए मामले को प्रथम अपीलीय न्यायालय में भेज सकता है, दूसरा उपयुक्त प्रकरण में मामले को फिर से मुकदमे की सुनवाई के लिए निचली अदालत में भेजना।’’

Also read:  महाराष्ट्र के जालना जिले में प्रदर्शनकारियों पर हुए लाठीचार्ज के बाद मराठा संगठन आक्रामक, जालना हिंसा को लेकर धुले-सोलापुर हाईवे पर चलने वाली बस सर्विस को रद्द कर दिया

शीर्ष अदालत मद्रास हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसे दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 401 के तहत अपने पुनरीक्षण अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करते हुए प्रथम अपीलीय न्यायालय द्वारा पारित बरी करने के आदेश को रद्द कर आरोपी को दोषी ठहराया था। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि बरी करने के आदेश के खिलाफ पीड़ित को अपील दायर करने का अधिकार पूर्ण अधिकार है।