English മലയാളം

Blog

नई दिल्ली: 

फर्जी रेटिंग विवाद (fake ratings row) के बीच रेटिंग एजेंसी BARC (Broadcast Audience Research Council) ने अगले तीन महीनों के लिए टीवी चैनलों की साप्ताहिक रेटिंग पर रोक लगाने का फैसला किया है. पिछले कुछ दिनों में फर्जी रेटिंग और टीआरपी के लिए किए जा रहे कथित घोटाले पर बड़ा विवाद खड़ा हुआ है और इसकी चपेट में कई छोटे-बड़े न्यूज चैनल आए हैं, जिसके बाद एजेंसी ने अपने सिस्टम की पूरी तरह जांच करने के लिए तीन महीनों तक के लिए साप्ताहिक रेटिंग रोक दी है. रेटिंग्स का निलंबन अंग्रेजी, हिंदी, क्षेत्रीय भाषाओं और बिजनेस न्यूज चैनलों पर लागू होगा.

Also read:  बांदा में बड़ा नाव हादसा, स्टेयरिग टूटी और 30 से ज्यादा यमुना में समाए

BARC ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा कि ‘BARC अपने सिस्टम की जांच कर रहा है. इसके लिए न्यूज की कैटेगरी से प्रक्रिया शुरू की जा रही है. एजेंसी सभी न्यूज चैनलों की साप्ताहिक रेटिंग पब्लिशिंग रोक रही है. इस प्रक्रिया में 8 से 12 हफ्ते लग सकते हैं. सिस्टम की टेस्टिंक को BARC की टेक कॉम. देख रही है. एजेंसी खबरों के राज्य और भाषा के मानकों पर दर्शकों का साप्ताहिक आंकड़ा जारी करती रहेगी.’

Also read:  वोडाफोन आइडिया के लगभग 2 करोड़ पोस्टपेड ग्राहकों का कॉल डेटा रिकॉर्ड सार्वजनिक हो गया, शोध कंपनी साइबरएक्स9 ने अपनी एक रिपोर्ट में दी जानकारी

रेटिंग एजेंसी ने अपने बयान में कहा कि उसने यह कदम ‘बड़ी कैटेगरीज़ के डेटा की रिपोर्टिंग और रेटिंग मापने के अपने मौजूदा सिस्टम की समीक्षा करन का फैसला किया है, ताकि उसके सांख्यिकी को और मजबूत किया जा सके और इससे छेड़छाड़ करने की संभावित कोशिशों पर रोक लगाई जा सके.’

बता दें कि फर्जी रेटिंग मामले में रिपब्लिक टीवी सहित तीन चैनलों की रेटिंग से छेड़छाड़ करने और ऐड रेवेन्यू कमाने के लिए फर्जी नैरेटिव तैयार करने के आरोपों में जांच हो रही है. रिपब्लिक टीवी के अलावा इनमें एक फ़क्त मराठी और एक बॉक्स सिनेमा का नाम आया है. दो टीवी चैनलों के मालिकों को गिरफ्तार किया गया है और रिपब्लिक के डायरेक्टर और प्रमोटरों के खिलाफ जांच हो रही है.

Also read:  यूपी हापुड़ में बड़ा हादसा, केमिकल फैक्ट्री में बॉयलर फटने से धमाका

इस घोटाले में सबसे बड़ा नाम रिपब्लिक टीवी का आया है. चैनल के खिलाफ ऐसे कुछ दर्शकों के बयान भी आए हैं, जिन्होंने बताया है कि उन्हें टीवी न देखते वक्त भी चैनल ऑन रखने को कहा गया था और इसके लिए पैसे दिए जाते थे.