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मेट्रो मैन ई श्रीधरन ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) के प्रधान सलाहकार के पद से इस्तीफा दे दिया है। दिल्ली मेट्रो ने बुधवार को पुष्टि करते हुए कहा कि श्रीधरन औपचारिक रूप से दिल्ली मेट्रो से अलग हो गए।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के बाद श्रीधरन के दिल्ली मेट्रो के मुख्य सलाहकार पद से अलग होने की सिर्फ औपचारिकता बाकी थी, जो बुधवार को पूरी हो गई। फरवरी में वह  भाजपा में शामिल हो गए और संकेत दिया है कि वह विधानसभा चुनाव भी लड़ेंगे।

हाल ही राजनीति में कदम रखने वाले मेट्रो मैन श्रीधरन ने नवंबर, 1997 में पहली बार डीएमआरसी की यूनिफॉर्म पहनी थी।  बीती 4 मार्च को श्रीधरन आखिरी बार दिल्ली मेट्रो की यूनिफॉर्म में नजर आए थे। यह पलारीवेट्टम में एक निर्माणाधीन फ्लाइओवर के निरीक्षण का मौका था, जिसे डीएमआरसी ने पांच महीने के रिकॉर्ड समय में पुनर्निर्मित कर दिया था। इस कार्यक्रम के बाद उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत के बारे में बात की थी।

इस दौरान ई श्रीधरन ने कहा था कि वह विधानसभा चुनावों के लिए अपना नामांकन दाखिल करने से पहले ही दिल्ली मेट्रो के मुख्य सलाहकार के पद से इस्तीफा दे देंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि इस्तीफा देने के बाद भी वह विकास परियोजनाओं की देखरेख के लिए रहेंगे। हालांकि, अभी यह तय नहीं हुआ है कि श्रीधरन चुनाव लड़ेंगे ही और अगर लड़ेंगे, तो किस सीट से नामांकन दाखिल करेंगे? लेकिन बुधवार को उन्होंने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को अपना इस्तीफा सौंप दिया।

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श्रीधरन ने केरल में चुनाव लड़ने के लिए किसी निर्वाचन क्षेत्र को प्राथमिकता नहीं दी है। उन्होंने कहा कि पार्टी से उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र को लेकर किसी तरह की मांग नहीं की है। पार्टी जहां से चाहेगी, वे वहीं से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, उन्होंने यह इच्छा जरूर जाहिर की है कि उनका निर्वाचन क्षेत्र उनके निवास स्थान पोन्नानी से ज्यादा दूर न हो। बता दें कि केरल में एक चरण में ही 6 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। 2 मई को चुनाव के नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे।

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दिसंबर, 1964 को समुद्री तूफान ने पम्बन ब्रिज को तबाह कर दिया था। दुर्भाग्य से उस समय ट्रेन ट्रैक पर थी। इस घटना में सैकड़ों लोगों की जान चली गई और ब्रिज के 146 में 125 गर्डर जलमग्न हो गए। 32 साल के असिस्टेंट इंजीनियर श्रीधरन को ब्रिज बनाने का काम सौंपा गया। पहले सरकार ने इसे पूरा करने की डेडलाइन छह महीने रखी, बाद में दक्षिण रेलवे ने इसे घटाकर तीन महीने कर दिया। युवा श्रीधरन ने सारी गर्डर बिछाने के साथ मरम्मत का पूरा काम 46 दिन में ही कर दिया। रेलमंत्री को भी इस पर यकीन नहीं हुआ और उन्होंने युवा इंजीनियर को एक हजार रुपये की पुरस्कार राशि भेंट की।

महाराष्ट्र को कर्नाटक और गोवा से जोड़ने वाली अति-महात्वाकांक्षी कोंकण रेलवे देश के सबसे मुश्किल रेलवे प्रोजेक्ट में मानी जाती है। रेलवे से रिटायर होने के बाद सरकार ने उन्हें इसकी जिम्मेदारी सौंपी। प्रोजेक्ट की डेडलाइन 10 साल थी, लेकिन श्रीधरन ने आठ साल में 761 किलोमीटर लंबी, 59 स्टेशन 92 टनल वाली कोंकण रेलवे पूरी की। श्रीधरन से समय के पहले प्रोजेक्ट पूरा करने का राज पूछा गया। तब उन्होंने बताया कि वे हर ऑफिस और साइट पर रिवर्स क्लॉक लगाते हैं। घड़ी डेडलाइन के हिसाब से उल्टी चलती है। इससे लोग जल्दी काम करने के लिए प्रेरित होते हैं। उन्होंने डीएमआरसी में भी यही फॉर्मूला अपनाया और कोच्चि में भी रिवर्स क्लॉक अपने साथ लाए।

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श्रीधरन बताते हैं कि उन्होंने पूरी जिंदगी में कभी भी आठ घंटे से ज्यादा काम नहीं किया। सुबह 4 बजे उठ जाते हैं, नौ बजे से काम शुरू करते हैं और रात 9.15 पर सो जाते हैं। वह कभी भी दफ्तर की फाइल घर लेकर नहीं गए। घर जाकर बच्चों को धार्मिक कहानियां सुनाते हैं। दफ्तर में अपने सहकर्मियों को हमेशा श्रीमद्भभगवतगीता तोहफे में देते और इसके संदेश पढ़कर सुनाते हैं। वह बताते हैं कि भगवद्गीता हमेशा से उनके लिए प्रेरणा रही है, इसे वह धार्मिक किताब से बढ़कर प्रशासनिक सिद्धांतों से भरी किताब कहते हैं।