English മലയാളം

Blog

Screenshot 2022-01-18 124952

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने नोटिफिकेशन जारी कर बताया है कि, सूर्य नमस्कार कार्यक्रम 1 जनवरी, 2022 से 7 फरवरी, 2022 तक चलाया जाएगा।

 

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने देश के सभी कॉलेजों और यूनिवर्सिटी से अनुरोध किया है कि गणतंत्र दिवस पर तिरंगे के सामने सूर्य नमस्कार कार्यक्रम में हिस्सा लें। राष्ट्रीय खेल महासंघ की ओर से सूर्य नमस्कार परियोजना की योजना बनाई गई है। इस कार्यक्रम के तहत 26 जनवरी को तिरंगे के सामने प्रदर्शित किया जाएगा। भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में सरकार के चल रहे अमृत महोत्सव का एक हिस्सा है। इस संबंध में UGC की ओर से एक नोटिफिकेशन भी जारी हुई है। बता दें, “अमृत महोत्सव को बढ़ावा देने के लिए, महासंघ ने 30 राज्यों में 750 मिलियन सूर्य नमस्कार की एक कार्यक्रम चलाने का निर्णय लिया है।

Also read:  भारत में ब्रिटेन जैसा संक्रमण फैला तो तीसरी लहर में रोजाना आ सकते हैं 14 लाख तक केस- नीती आयोग

सूर्य नमस्कार कार्यक्रम  में 1 जनवरी से 7 फरवरी तक 30000 संस्थान और 3 लाख छात्र शामिल थे और 26 जनवरी को तिरंगे के सामने संगीतमय सूर्य नमस्कार का प्रदर्शन किया। आयोग ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा है कि सभी उच्च शिक्षा संस्थानों और इससे संबद्ध कॉलेजों से इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कहा जाता है।

दिसंबर में हुई थी घोषणा

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के सूर्य नमस्कार को लेकर जारी किए गए एक सर्कुलर को लेकर बवाल मच गया है. यूजीसी ने 29 दिसंबर, 2021 75 करोड़ सूर्य नमस्कार परियोजना की घोषणा की थी। यह परियोजना 1 जनवरी, 2022 से शुरू हुई है और यह 7 फरवरी, 2022 तक जारी रह सकती है।

Also read:  चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़ों से बचने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने बनाया बांस का घर

Covid-19 नियमों का किया जाएगा पालन

UGC ने उच्च शिक्षा संस्थानों से छात्रों के बीच व्यापक प्रचार-प्रसार कर इस आयोजन को बढ़ावा देने को भी कहा है। साथ ही कहा है कि, कोविड -19 स्थिति के आधार पर कार्यक्रमों को फिजिकल और वर्चुअल दोनों फॉर्मेंट में आयोजित किया जाएगा।

इस कार्यक्रम को लेकर विवाद

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि सूर्य नमस्कार का यह कार्यक्रम सूर्य पूजा का एक रूप है और इस्लाम में सूर्य को देवता के रूप में पूजा करने की अनुमति नहीं है। बोर्ड ने एक बयान जारी कर सरकार से आदेश वापस लेने को कहा है क्योंकि इसे एक धर्म को दूसरे पर थोपने के रूप में भी देखा जा रहा है। बयान में कहा गया है संविधान, हमें सरकारी शिक्षण संस्थानों में किसी विशेष धर्म की शिक्षाओं को पढ़ाने या किसी विशेष समूह की मान्यताओं के आधार पर समारोह आयोजित करने की अनुमति नहीं देता है।