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शिवसेना सांसद संजय राउत की जमानत मंजूर करते हुए स्पेशल कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को अवैध करार दिया। विशेष न्यायाधीश एम जी देशपांडे ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जमकर खिंचाई की।

 

मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी के दृष्टिकोण को लेकर इस साल कई मौकों पर उसे फटकार लगाई है। जस्टिस देशपांडे ने बुधवार को राज्यसभा सदस्य राउत को जमानत देते हुए कहा था कि जांच एजेंसी एक आरोपी को गिरफ्तार करने और हिरासत की मांग करते समय ‘असाधारण’ तेजी दिखाती है, लेकिन जब आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाता है, तो यह तेजी खत्म हो जाती है।

जस्टिस ने संजय राउत और सह-आरोपी प्रवीण राउत को जमानत देते हुए कहा, ‘मैं इस बात का संज्ञान लेने के लिए विवश हूं कि इस नामित अदालत की स्थापना के बाद से ईडी ने प्रमुख सबूतों के आधार पर एक भी मुकदमे का समापन नहीं किया है। इस अदालत ने पिछले एक दशक में एक भी फैसला नहीं सुनाया है। हर बार जब भी सफाई मांगी जाती है तो जांच एजेंसी का जवाब होता है कि हर मामले में आगे की जांच जारी है।’

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‘असाधारण गति से आरोपियों की गिरफ्तारी’
न्यायाधीश देशपांडे ने कहा, ‘यहां तक ​​कि जिन मामलों में इस अदालत ने आरोप तय किए हैं, वे (ईडी) एक-दो पृष्ठों से अधिक के साक्ष्य दर्ज नहीं कर सके। इस प्रकार ईडी जिस असाधारण गति से आरोपियों को गिरफ्तार करती है, वह मुकदमा चलाने के मामले में गतिविहीन हो जाती है।’ मालूम हो कि यह पहली घटना नहीं थी जब इस न्यायाधीश ने धनशोधन मामलों में जांच एजेंसी के खिलाफ आदेश पारित किया था।

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स्पेशल जस्टिस देशपांडे शायद देश के पहले न्यायाधीश थे, जिन्होंने धनशोधन मामले के आरोपी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में अधिसूचित अपराध के लिए अंतरिम राहत प्रदान की। इस साल जुलाई में न्यायालय ने एक आदेश में निर्देश दिया था कि अगर कोई अधिसूचित अपराध न हो तो धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला जारी नहीं रखा जा सकता। इसलिए विशेष अदालत के पास इस अधिनियम के तहत गिरफ्तार व्यक्तियों की न्यायिक हिरासत बढ़ाने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।

इन मामलों में जमानत दे चुके हैं जस्टिस

नियमों के अनुसार, ईडी को प्रक्रिया या गतिविधि में शामिल व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए एक पूर्व प्राथमिकी (अधिसूचित अपराध) की आवश्यकता होती है। SC के आदेश के एक हफ्ते बाद ईडी की ओर से गिरफ्तार ओंकार समूह के बाबूलाल वर्मा और कमलकिशोर गुप्ता ने न्यायाधीश देशपांडे की विशेष पीएमएलए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें अधिसूचित अपराध के अभाव में धनशोधन मामले में उन्होंने आरोप मुक्त करने की मांग की थी।

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देशपांडे ने ईडी के पुरजोर विरोध के बावजूद दोनों की अंतरिम जमानत मंजूर कर ली थी। इससे पहले फरवरी में विशेष न्यायाधीश देशपांडे ने यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर, उनकी पत्नी बिंदु, व्यवसायी गौतम थापर और 7 अन्य को जमानत दी थी। उन्होंने पीएमएलए मामलों में सुनवाई शुरू करने के लिए सक्रिय रुख नहीं अपनाने को लेकर ईडी को फटकार भी लगाई थी।