राज्य बनने के साथ ही हुए विधानसभा चुनाव में राज्य की जनता ने बीजेपी और कांग्रेस के साथ ही यूकेडी और बीएसपी पर विश्वास जताया। इस चुनाव में बीएसपी को सात और यूकेडी को चार सीटें मिली।
उत्तराखंड (Uttarakhand) में हो रहे विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Elections) के लिए सभी सियासी दल तैयार हैं। राज्य में करीब 50 से ज्यादा अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। लेकिन राज्य के सियासी जंग में महज कुछ ही दलों को अभी तक सफलता मिली है। वहीं राज्य में जनता ने ज्यादा राष्ट्रीय दलों पर भी विश्वास जताया है। जबकि क्षेत्रीय दलों को एक तरह से नकार दिया है।हालांकि इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता है कि बड़े राष्ट्रीय दलों के नेताओं ने अपनी सियासी कैरियर की शुरुआत क्षेत्रीय दलों से ही की थी और वह राष्ट्रीय दलों की राजनीति कर रहे हैं। वहीं राज्य में क्षेत्रीय दलों का प्रदर्शन गिर रहा है और वह विधानसभा की दहलीज को पार करने में फिसड्डी साबित हुए हैं।
अगर देखें तो राज्य बनने के बाद से ही विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच रहा है और क्षेत्रीय दल राज्य में पिछड़ते गए हैं। राज्य के पहले दो चुनावों में बहुजन समाज पार्टी और उत्तराखंड क्रांति दल यानी यूकेडी ने अपनी ताकत का अहसास कराया। लेकिन समय के साथ ही ये दोनों दल अपनी साख खोते गए और राज्य की सत्ता राष्ट्रीय दलों के इर्दगिर्द घूमती रही। अगर 2017 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो ये दल भी हाशिए पर चले गए और दोनों ही दलों को राज्य में एक भी सीट नहीं मिली। इस चुनाव में जहां बीएसपी का वोट प्रतिशत घटा तो यूकेडी ने मान्यता प्राप्त रजिस्टर्ड पार्टी का भी दर्जा खो दिया।
राज्य के पहले चुनाव में यूकेडी ने जीत चार सीट
राज्य बनने के साथ ही हुए विधानसभा चुनाव में राज्य की जनता ने बीजेपी और कांग्रेस के साथ ही यूकेडी और बीएसपी पर विश्वास जताया। इस चुनाव में बीएसपी को सात और यूकेडी को चार सीटें मिली। यूकेडी को पहाड़ी हिस्से में चार सीट मिली तो बीएसपी के खाते में मैदानी इलाके से सात सीटें आयी। इस चुनाव में यूकेडी को पंजीकृत राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा भी मिला। वहीं इस चुनाव में तीन सीटें निर्दलीय और एक सीट एनसीपी ने जीती।
क्षेत्रीय दलों की सीटों में लगातार आयी गिरावट
वहीं 2007 के चुनाव में बीएसपी को आठ सीटें मिलीं और यूकेडी को तीन सीटें मिलीं और इस चुनाव में तीन सीटें निर्दलीय के खाते में आईं. इसके बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी और क्षेत्रीय दलों की सीटों में गिरावट देखने को मिली और बीएसपी की सीटें आठ से घटकर तीन हो गई जबकि यूकेडी को महज एक सीट मिली। वहीं 2017 के चुनाव में मोदी लहर बीएसपी और यूकेडी एक भी सीट नहीं जीत सके।