केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को असम और मेघालय (Assam Meghalaya) के बीच सीमा समझौते को अंतिम रूप देने के लिए 29 मार्च को एक बैठक बुलाई। जनवरी में असम और मेघालय के बीच हस्ताक्षरित सीमा समझौते (Border Pact) को अंतिम रूप देने के लिए 29 मार्च की तारीख तय की है।
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा (Conrad K Sangma) ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे एक आधिकारिक संचार मिला है कि गृह मंत्री अमित शाह ने 29 मार्च को शाम 4:30 बजे तारीख तय की है। मेघालय के मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि दोनों राज्यों के सीएम और सीमा समिति के अधिकारियों को त्रिपक्षीय बैठक के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया है।
गृह सचिव भल्ला और अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल ने नॉर्थ ब्लॉक में एक घंटे की लंबी बैठक की, जहां दोनों अधिकारियों ने मसौदा समझौते पर विस्तार से चर्चा की। बैठक में दोनों राज्यों के मुख्य सचिव ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भाग लिया। मसौदा समझौते के अनुसार दोनों राज्य छह विवादित क्षेत्रों पर आपसी समझौते के लिए सहमत हुए। मंगलवार को होने वाली बैठक में तय हुए समझौते के तहत 36.79 किलोमीटर की विवादित सीमा (पहले चरण में) में असम 18.51 किलोमीटर जबकि मेघालय 18.28 किलोमीटर जमीन अपने पास रखेगा। इससे पहले जनवरी में दोनों मुख्यमंत्रियों ने गृह मंत्री शाह से मुलाकात की थी और सीमा विवाद को खत्म करने के लिए अपना प्रस्ताव पेश किया था।
जानें 1972 में क्यों शुरू हुआ था विवाद
यह विवाद काफी पहले 1972 में शुरू हुआ था जब मेघालय को असम से अलग कर बनाया गया था. नए राज्यों के निर्माण के लिए प्रारंभिक समझौते में दोनों राज्यों के बीच सीमा सीमांकन के अलग-अलग रीडिंग के परिणामस्वरूप सीमा पर विवाद पैदा हुआ था। कुल 12 विवादित सीमा क्षेत्रों में से, दोनों राज्य हाहिम, गिज़ांग, ताराबारी, बोकलापारा, खानापारा-पिलिंगकाटा और रातचेरा सहित छह विवादित क्षेत्रों पर एक समझौता करने के लिए सहमत हुए।
पहले बैठक 27 मार्च को होनी थी
पहले यह बैठक 27 मार्च को होनी थी, लेकिन इसे दो दिन के लिए टाल दिया गया. मेघालय और असम के मुख्यमंत्रियों ने पहले चरण में छह स्थानों ताराबारी, गिजांग, हाहिम, बोकलापारा, खानापारा-पिलंगकाटा और रातचेरा में सीमा विवाद को हल करने के लिए 29 जनवरी को गुवाहाटी में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद इसे जांच के लिए गृह मंत्रालय को भेजा गया। मेघालय को 1972 में असम से अलग राज्य के रूप में बनाया गया था और इसने असम पुनर्गठन अधिनियम, 1971 को चुनौती दी थी, जिससे साझा 884.9 किमी लंबी सीमा के विभिन्न हिस्सों में 12 क्षेत्रों से संबंधित विवाद पैदा हुए थे। दोनों राज्यों के बीच कई बार सीमा विवाद बार भड़के हैं। 2010 में ऐसी ही एक घटना में लैंगपीह में पुलिस गोलीबारी में चार लोग मारे गए थे।