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लखनऊ: 

आजाद भारत में पहली बार किसी महिला को फांसी दी जाएगी. उत्‍तर प्रदेश के अमरोहा ज‍िले की शबनम का अपराध ऐसा है कि अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट में इस सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद शबनम ने राष्‍ट्रपति के समक्ष दया की अपील की थी जिसे भी नामंजूर किया जा चुका है. शबनम को घर के सात सदस्‍यों की बर्बरतापूर्वक हत्‍या करने का दोषी ठहराया गया है. प्रेम संबंधों का विरोध करने पर बौखलाई इस युवती ने अपने परिवार को लोगों को पहले धोखे के साथ बेहोश करने की दवा खिलाई और बाद में नृशंसतापूर्वक कुल्‍हाड़ी से काटकर हत्‍या कर दी.

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शबनम के अपराध को जघन्‍य मानते हुए अमरोहा जिला न्‍यायालय ने वर्ष 2010 में उसे फांसी की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट ने भी इस सजा की पुष्टि की थी. इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2015 में खारिज कर दिया था, बाद में राष्‍ट्रपति की ओर से भी 11 अगस्‍त 2016 को की दया याचिका को ठुकरा दिया गया था. महिलाओं को फांसी देने का इंतजाम केवल मथुरा में है, वहां फांसी देने की तैयारी की गई है. फांसी देने के लिए मेरठ से जल्‍लाद को भी बुलाया गया है. मामले में शबनम के प्रेमी सलीम को भी फांसी की सजा सुनाई गई है.

अमरोहा में में दीवानी युवती ने वर्ष 2008 में अपने बॉयफ्रेंड से मिलकर अपने परिवार के सात सदस्‍यों की कुल्हाड़ी से काट कर हत्या कर दी थी. युवती  की शादी नहीं हुई थी और गर्भवती थी. युवती इस समय रामपुर जेल में है, जेल के सुपरिन्टेन्डेन्ट ने लड़की का डेथ वारंट जारी करने को अदालत को लिखा है. जेल में रहने के दौरान ही युवती को जेल में बेटा हुआ जिसे बुलंदशहर में कोई पाल रहा है.