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 बिहार में एकबार फिर से राजनीतिक गतिविधियां तेजी से बदल रही हैं। सीएम नीतीश की पार्टी जदयू में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपनी पार्टी के बड़े फैसले लेने शुरू कर दिए हैं।

जदयू  के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे सीएम नीतीश कुमार के कभी सबसे करीबी रहे आरसीपी सिंह की आजकल भाजपा से करीबी बढ़ती जा रही है, जो नीतीश कुमार को गंवारा नहीं दिख रही है। यही वजह है कि आरसीपी सिंह और नीतीश के बीाच खटास बढ़ गई है। ये खटास इतनी बढ़ गई है कि आरसीपी सिंह ने अपने ट्विटर के बायो से ‘जेडीयू’ की पहचान, नीतीश कुमार की फोटो तक को हटा दिया है। 

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आरसीपी की भाजपा से नजदीकी, नीतीश से बनाई दूरी

माना जा रहा है कि जदयू से राज्यसभा का टिकट कटने पर आरसीपी सिंह पाला बदलकर भाजपा की मोदी सरकार में मंत्री बने रह सकते हैं। वैसे भी उनका राज्यसभा कार्यकाल अगले महीने ही खत्म हो रहा है। खबर है कि नीतीश कुमार उन्हें पार्टी से दोबारा राज्यसभा उम्मीदवार बनाने के मूड में नहीं हैं। दूसरी तरफ आरसीपी सिंह और JDU के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के बीच की तनातनी भी अब जगजाहिर हो गई है। इसकी वजह ये बताई जा रही है कि आरसीपी सिंह की नजदीकी भाजपा से बढ़ती जा रही है और उनके कुछ फैसले पार्टी के हित में नहीं रहे हैं।

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ललन के निशाने पर रहे आरसीपी अब नीतीश को खटक रहे

आरसीपी सिंह बिहार के नालंदा जिले से हैं, जो नीतीश का भी गृहजिला है. दूसरी बात ये कि वो भी जाति से कुर्मी हैं। वे वर्ष 2010 में जदयू में शामिल हुए थे और उन्हें जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया गया था। वे मौजूदा अध्यक्ष ललन सिंह के निशाने पर हैं। बता दें कि दोनों नेताओं के बीच सब ठीक नहीं चल रहा। कहा जा रहा है कि ललन सिंह नहीं चाहते कि आरसीपी सिंह को दोबारा जदयू से राज्यसभा भेजा जाए। इस वजह से आरसीपी सिंह से रिश्ते हुए खराब बिहार में महागठबंधन को तोड़ने में आरसीपी ने अहम भूमिका निभाई थी। उसके बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी भाजपा और जेडीयू के रिश्ते में अड़चनें आईं थीं और गठबंधन नहीं बन पाया था। चुनाव में बीजेपी की ओर से जदयू को भाव नहीं दिए जाने पर ललन सिंह ने आरसीपी को इसका जिम्मेदार बताया था। जदयू इस चुनाव में अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। इस हार के बाद से भी ललन सिंह की नजर में आरसीपी ज्यादा खटनके लगे थे। वहीं, केंद्रीय मंत्री बनने के बाद उनकी नजदीकियां भाजपा से बढ़ती गईं। खुद नीतीश भी अब मानते हैं कि आरसीपी की वफादारी जदयू से ज्यादा बीजेपी के प्रति ज्यादा है।