English മലയാളം

Blog

Screenshot 2022-05-12 191802

 इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुनवाई के बाद ताज महल के 22 कमरों को खुलवाने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ कोर्ट ने कहा,’हम यहां इसलिए नहीं बैठे हैं कि किस सब्जेक्ट पर रिसर्च होना चाहिए या नहीं।’ इसके साथ लखनऊ बेंच ने कहा कि यह मामला कोर्ट के बाहर का है और इसे इतिहासकारों के ऊपर छोड़ देना चाहिए।

 

न्यायमूर्ति डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने याचिका पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अदालत भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत ऐसा आदेश पारित नहीं कर सकती है। पीठ ने याचिकाकर्ता रजनीश सिंह के अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह की बिना कानूनी प्रावधानों के याचिका दायर करने के लिए खिंचाई की।अदालत ने याचिकाकर्ता यह नहीं बता सका है कि उसके किस कानूनी या संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है।

वहीं, याचिकाकर्ता के वकील रुद्र विक्रम सिंह ने कहा कि कोर्ट की नजर में यह मामला न्यायिक नहीं बल्कि विवादास्पद है। आप इस पर डिबेट कर सकते हैं। हमारी 4 अपील थी, पहली फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई जाए, दूसरी बंद कमरों को खोला जाए, तीसरी इससे जुड़े एक्ट का पुनर्लेखन और चौथी बेसमेंट में बने वॉल जो बंद हैं उनकी स्टडी करने की इजाजत दी जाए। इन चारों अपील को खारिज किया गया है. हमें इस पर रिसर्च करने को कहा गया है। हमारा अगला कदम होगा कि हम हिस्ट्री अकादमी को अप्रोच करें।

Also read:  छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज बड़ी घोषणा, गणतंत्र दिवस पर बेरोजगारी भत्ता देने का ऐलान, अगले वित्तीय वर्ष से मिलेगा लाभ

इससे पहले लखनऊ बेंच के जस्टिस डीके उपाध्याय ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा था कि ताज महल के बारे में रिसर्च करने के बाद ही कोई याचिका दाखिल की जानी चाहिए। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, ‘पीआईएल को मजाक न बनाएं। पहले पढ़ लें, ताज महल कब और किसने बनवाया था। लखनऊ बेंच ने इसके साथ कहा कि कल आप आएंगे और कहेंगे हमें जजों के चेंबर में जाना है, तो क्या हम आपको चैंबर दिखाएंगे? साथ ही याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि इतिहास आपके हिसाब नहीं पढ़ाया जाएगा।

Also read:  मध्यप्रदेश ने जल जीवन मिशन के कार्यों को पूरा करने में प्राथमिकता से कार्य किया- शिवराज सिंह चौहान

जानें किसने डाल याचिका

बता दें कि ताज महल के 22 कमरों में से 20 कमरों को खुलवाने की याचिका भाजपा के अयोध्या मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश सिंह ने 7 मई को कोर्ट दाखिल की थी। इसके साथ भाजपा नेता ने इन कमरों में हिंदू-देवी-देवताओं की मूर्ति होने की आशंका जताते हुए कहा था कि इन बंद कमरों को खोलकर इसका रहस्य दुनिया के सामने लाना चाहिए। वैसे डॉ. रजनीश सिंह ने अपनी याचिका में यह दलील दी है कि उन्होंने आरटीआई दाखिल कर इस बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की कि आखिरकार 22 कमरे बंद क्यों है? वहीं, आरटीआई जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर उन्‍होंने कोर्ट का रुख किया था। इसके साथ याचिकाकर्ता ने यूपी सरकार से इस मामले में एक समिति गठित करने की मांग की थी।

Also read:  समुद्र की लहरों में बढ़ी हलचल, तेजी से बढ़ रहा चक्रवाती तूफान असानी

हालांकि आरटीआई में बताया गया कि सुरक्षा कारणों की वजह से ताज महल के 22 कमरे बंद किए गए हैं। यही नहीं, कई हिन्‍दू संगठन ताज महल को भगवान शिव का मंदिर बताते हैं। यही नहीं, इस वजह से ताज महल को लेकर मुद्दा गर्म रहता है। जबकि इतिहासकारों का कहना है कि ताज महल विश्व विरासत है, लिहाजा इसे धार्मिक रंग देना सही नहीं है। बता दें कि लखनऊ बेंच में दायर की गई याचिका में इतिहास को स्पष्ट करने के लिए ताजमहल के बंद 22 कमरों को भी खोलने की मांग की गयी थी। इसमें 1951 और 1958 में बने कानूनों को संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध घोषित किए जाने की भी मांग की गयी थी। इन्हीं कानूनों के तहत ताजमहल, फतेहपुर सीकरी का किला और आगरा के लाल किले आदि इमारतों को ऐतिहासिक इमारत घोषित किया गया था।