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कर्नाटक कैबिनेट ने गुरुवार को राज्य में पिछली भाजपा सरकार की ओर से लाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून को वापस लेने के फैसले की घोषणा की। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार जुलाई में आगामी विधानसभा सत्र में इस संबंध में एक विधेयक पेश करेगी।

कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच के पाटिल ने कहा कि कैबिनेट ने धर्मांतरण विरोधी विधेयक पर चर्चा की। हमने 2022 में उनके (भाजपा सरकार) की ओर से लाए गए परिवर्तनों को रद्द करने के लिए विधेयक को मंजूरी दे दी है। इसे 3 जुलाई से शुरू होने वाले सत्र के दौरान पेश किया जाएगा।

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दिसंबर 2021 में कर्नाटक विधानसभा में पास हुआ था बिल

बता दें कि धर्मांतरण विरोधी बिल का उद्देश्य ‘लालच’, ‘जबरदस्ती’, ‘जबरदस्ती’, ‘धोखाधड़ी के माध्यम’ से धर्मांतरण को रोकना था, जिसे दिसंबर 2021 में कर्नाटक विधानसभा में पास किया गया था। सरकार ने तब निर्णय लिया था कि विधेयक को प्रभावी बनाने के लिए अध्यादेश लाना है।

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अध्यादेश को कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 17 मई, 2022 को मंजूरी दे दी थी। तब इसे छह महीने के भीतर विधानसभा की ओर से अनुमोदित करने की आवश्यकता थी। विधेयक सितंबर में उस अध्यादेश को बदलने के लिए पेश किया गया था जो प्रभावी था और विधान परिषद की ओर से पारित किया गया था।

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इस बिल का कांग्रेस विधायकों के साथ-साथ ईसाई समुदाय के नेताओं ने भी कड़ा विरोध किया था। इस साल मई में साधारण बहुमत से राज्य की सत्ता में आई कांग्रेस ने अब धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने की घोषणा की है।