पड़ोसी देश के सामान को लेकर सबके मन में चिंता रहती है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं होता है। हमारी क्षमताएं अलग हैं। जब कोरोना आया, तब हम पीपीई किट नहीं बनाते थे, लेकिन आज हम पीपीई किट निर्यात करते हैं।
याद करिए एक समय भारत में गेहूं नहीं था। हम अमेरिका से सड़ा हुआ पीएल4 गेहूं मंगवाते थे, अब समय बदल गया है। कोरोनाकाल में हमने 140 देशों को दवाएं दी हैं। इसमें से 40 देशों को हमने मुफ्त में दवा दी। आज विश्व की ऐसी कोई बड़ी कंपनी नहीं होगी, जिसका चेन्नई, बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई में आफिस नहीं होगा। यह हमारा भारत है।
यह कहना है केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का। वे मंगलवार को प्रवासी भारतीय दिवस में एक सत्र “रोल आफ इंडियन डायस्पोरा फार इनेबलिंग ग्लोबल मोबिलिटी आफ इंडियन वर्कफोर्स” को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इंदौर की रानी अहिल्याबाई होलकर अपने अच्छे शासन के लिए जानी जाती हैं। हम कभी मिलेट्री पावर नहीं बनाना चाहते, हम चाहते हैं दुनिया भारत को एक नए तरीके से देखे। हम कड़ी मेहनत करने वाले लोग हैं। हम कई मामलों में दुनिया में अग्रणी हैं। हमारे यहां स्वीपर से लेकर राकेट साइंटिस्ट तक हैं, लेकिन जैसे हम हर साल फोन बदलते हैं, ताकि नए फीचर मिल सकें, उसी तरह भारतीय कर्मचारियों को विश्वभर में सम्मान मिल सके।
विश्व में युवा कुशल वर्कफोर्स सर्वाधिक भारत में
प्रधान ने आगे कहा कि मुझे गर्व है कि अगले दो साल में भारत में ऐसा कोई गांव नहीं होगा जहां इंटरनेट कनेक्शन नहीं होगा। उन्होंने कहा कि विश्व में युवा कुशल वर्कफोर्स सर्वाधिक भारत में है। लगभग 3.2 बिलियन भारतीय युवा विश्व के अलग-अलग देशों में कार्यरत हैं। अन्य देशों की तुलना में भारतीय उत्पाद बेहतर गुणवत्ता एवं सस्ते मूल्य के लिए जाने जाते हैं। हमारे देश में लगभग 200 मिलियन छात्र शोध-कार्य और स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
मारीशस के 70 प्रतिशत नागरिकों की जड़ें भारत में
मारीशस की सोशल इंटीग्रेशन, सोशल सिक्योरिटी एवं नेशनल सालिडेरिटी मंत्री फजीला जीवा दोरियावू ने कहा कि मारीशस की अर्थव्यवस्था में भारतीय कार्यबल का महत्वपूर्ण योगदान है। मारीशस के 70 प्रतिशत नागरिकों की जड़ें भारत से जुड़ी हैं, भारत उनका दूसरा घर है। कोविडकाल के दौरान भारत से मिली वैक्सीन से मारीशस को बड़ी राहत मिली थी।
गल्फ वालों का तन-मन-धन हिंदुस्तान के लिए
लुलू ग्रुप के सीएमडी एमए युसूफ अली ने कहा कि लोग खुद कहीं होते हैं, उनका मन कहीं होता है और उनका धन कहीं और होता है। लेकिन हम गल्फ वालों का तन, मन और धन हिंदुस्तान के लिए है। केरल में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एनआरआइ समिति गठित की गई है। अन्य राज्यों को भी ऐसी समिति बनाकर विदेश मंत्रालय की मदद से भारतीय युवाओं को अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म उपलब्ध कराने में मदद करना चाहिए। आस्ट्रेलिया की मल्टी कोनेक्सीओन ग्रुप की सीईओ शीबा नांदेकेलीयोर और एसबीआइ ग्रुप जापान के सदस्य संजीव सिन्हा, अरानाड समाचार पत्र के संपादक कुलदीप सिंह शेखावत, इराम ग्रुप के चेयरमेन डा. सिद्दीक अहमद ने भी अपनी बात रखी।