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नई दिल्ली: 

School Fee 2020: केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने अनलॉक 5 के लिए दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा है कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश 15 अक्टूबर के बाद स्कूलों, कोचिंग संस्थानों समेत अन्य शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोलने पर फैसला कर सकते हैं. MHA के इस फैसले के बाद, जहां एक ओर स्कूलों को खोलने की तैयारी चल रही है, वहीं छात्र और अभिभावक स्कूल फीस को लेकर चिंतित हैं. आपको बता दें कि कोरोना वायरस के दौरान कई राज्यों के स्कूलों ने फीस में बढ़ोतरी की, वहीं कुछ राज्य ऐसे भी हैं, जहां फीस में छात्र और उनका माता- पिता को राहत मिली है. आइए विस्तार से जानते हैं.

गुजरात सरकार ने 25% कम की फीस

गुजरात सरकार ने बुधवार को सभी प्राइवेट स्कूलों को सालाना स्कूल फीस में 25 प्रतिशत की कटौती करने को कहा है, जिससे स्कूल जाने वाले बच्चों के माता-पिता को राहत मिली है. शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चुडासमा ने कहा कि स्कूल के मालिक मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के दौरान छात्रों से 25 प्रतिशत कम फीस लेने के लिए सहमत हुए हैं. स्कूली बच्चों के माता-पिता को राहत देने का फैसला मुख्यमंत्री विजय रुपानी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक के दौरान लिया गया. यह निर्णय CBSE और ICSE बोर्ड सहित विभिन्न बोर्ड से संबद्ध सभी स्कूलों पर लागू होता है.

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इसी के साथ मंत्री ने कहा कि जिन अभिभावकों ने पहले ही पूरे साल की फीस भर दी है, वह फीस में 25 प्रतिशत कटौती के बाद रिफंड पाने के हकदार हैं. उन्होंने कहा, कोरोना वायरस के दौरान स्कूलों में किसी भी प्रकार की एक्टिविटी नहीं हो रही है. ऐसे में ट्रांसपोर्ट, लाइब्रेरी, कंप्यूटर और स्पोर्ट्स एक्टिविटीज से संबंधित फीस जमा नहीं कर सकते.

ऐसा है दिल्ली के स्कूलों का हाल

देश की राजधानी दिल्ली के एक टॉप प्राइवेट स्कूल के छात्रों के माता-पिता ने आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार के आदेश के बावजूद स्कूल ने अगस्त से फीस बढ़ा दिया था. दिल्ली सरकार ने स्कूलों को निर्देश दिया था कि जब तक COVID-19 के कारण स्कूल बंद रहेंगे, तबतक डेवलपमेंट फीस या एनुअल फीस के नाम पर कोई राशि नहीं ली जाएगी. साथ ही ट्यूशन फीस में भी वृद्धि नहीं की जाएगी लेकिन प्राइवेट स्कूलों ने दिल्ली सरकार के नियम का उल्लंघन किया.

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अभिभावकों ने डीपीएस आर के पुरम के कदम के खिलाफ शिक्षा निदेशालय (डीओई) का रुख किया था. एक अभिभावक ने बताया “स्कूल डेवलपमेंट फीस या एनुअल फीस नहीं ले रहा है, लेकिन उन्होंने ट्यूशन फीस में वृद्धि की है. नई रसीदों में कुछ संदिग्ध चीजें हैं जैसे ट्रांसपोर्ट फीस और मेंटेनेंस फीस. अभिभावक का कहना है कि जब स्कूल बंद हैं तो वे क्या रखरखाव कर रहे हैं?  ट्यूशन फीस के लिए पहले 9,000 रुपये देना पड़ता था, लेकिन उसे बढ़ाकर अब 13,000 रुपये कर दिया गया है.”

पंजाब- हरियाणा में स्कूलों की फीस

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पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि पंजाब के सभी स्कूल केवल ट्यूशन शुल्क ले सकते हैं, अगर वे लॉकडाउन के दौरान छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस हरिंदर सिंह सिद्धू  की एक खंडपीठ ने यह भी कहा कि कॉन्ट्रैक्ट और परमानेंट शिक्षकों और कर्मचारियों को कोरोना संकट के दौरान भी नियमित रूप से वेतन मिलना चाहिए, जैसा उन्हें  23 मार्च, 2020 को लॉकडाउन लागू होने से पहले मिल रहा था.

ओडिशा स्कूल फीस

कोरोना वायरस संकट के दौरान ओडिशा  के प्राइवेट स्कूलों ने मनमाने ढंग से फीस में बढ़ोतरी की, जिसके बाद मामला हाईकोर्ट जा पहुंचा. कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा, जिन प्राइवेट स्कूल की सालाना फीस 6,000 रुपये है, उन्हें फीस कम करने की कोई छूट नहीं होगी. वहीं जिन प्राइवेट स्कूलों की सालाना फीस 1 लाख रुपये से अधिक है वह फीस में 26 प्रतिशत  कटौती करेंगे.