यूपी के श्रावास्ती में नाबालिग लड़की से रेप और उसकी हत्या के गुनाह में फांसी की सज़ा पाए व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ी राहत मिली है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस व्यक्ति को बरी करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘कोर्ट किसी के साथ हुई नाइंसाफी की भरपाई उस केस में बेगुनाह को सज़ा देकर नहीं कर सकता।’ कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सरकारी गवाहों के बयानों में बड़े विरोधाभास हैं लेकिन निचली अदालत से लेकर हाई कोर्ट तक ने इसे नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां पुलिस ने जांच में लापरवाही करके पीड़ित के साथ नाइंसाफ़ी की, वहीं बिना किसी ठोस सबूत के किसी को आरोपी बनाकर उनके साथ नाइंसाफी की है। जानकारी के अनुसार नाबालिग की उम्र केवल 6 साल की थी और होली के मौके पर अपने ही रिश्तेदार के साथ डांस और गाने की परफॉर्मेंस देखने गई थी।
इसी रिश्तेदार पर आरोप था कि उसने कथित तौर पर रेप के बाद उसकी हत्या कर दी थी। हालांकि आरोपी ने अपना बचाव करते हुए कहा था कि उसे एक प्रभावशाली के इशारे पर फंसाया गया है। सत्र न्यायालय ने उसे धारा 302 और 376 के तहत दोषी ठहराया था और उसे मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी अपील को खारिज करते हुए मौत की सजा बरकरार रखी थी।